Uttarakhand: अक्सर कई बार कुछ ऐसे मामले सामने आते है जिससे पुलिस की तरह से कार्य कर रही और किस तरह से उसके द्वारा पीड़ित को इंसाफ दिलवाया जा रहा है वह सामने आ जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ देहरादून के रायपुर के रहने वाले व्यक्ति के साथ। बता दें की जमीन की खरीद फरोख्त में हुई धोखाधड़ी के एक मामले में 18 साल बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। इससे पहले पीड़ित पुलिस थाने और चौकी से लेकर आला अधिकारियों तक को शिकायत कर चुका था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब उन्होंने आईजी गढ़वाल को शिकायत की तो मामले की दोबारा सीओ रायपुर से जांच कराई गई। जांच में धोखाधड़ी की पुष्टि होने के बाद दो केस दर्ज हुआ है।
आपको जानकारी के लिए बता दें की देहरादून के ननूरखेड़ा, रायपुर के रहने वाले सुनील सिंह के साथ वर्ष 2006 में धोखाधड़ी हुई थी। सुनील ने पुलिस को बताया कि तुनवाला निवासी मनोहर सिंह ने उन्हें नत्थनपुर के हरि प्रसाद से मिलवाया था। हरि प्रसाद तुनवाला में अपनी जमीन बेचना चाह रहा था। सुनील ने हरि प्रसाद को 50 हजार रुपये एडवांस देकर जमीन का सौदा कर लिया। इसके लिए 11 नवंबर 2015 को एक अनुबंध तैयार किया गया। इसके बाद 17 जनवरी 2006 को दो गवाहों के सामने उनसे 10 लाख रुपये और लिए गए।
लेकिन रजिस्ट्री नहीं की गई। इस पर जब सुनील सिंह ने कहा तो मनोहर सिंह ने आश्वासन दिया कि जल्द ही रजिस्ट्री करा दी जाएगी। लेकिन, समय बीतता गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाद में हरि प्रसाद ने रजिस्ट्री कराने से इन्कार कर दिया। सुनील सिंह ने अपने स्तर से जांच कराई तो पता चला कि ऐसी कोई जमीन हरि प्रसाद के नाम पर दर्ज नहीं थी। उन्होंने पुलिस को शिकायत की, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया। अब उन्होंने आईजी गढ़वाल को शिकायत की, जिसके बाद एसएसपी ने सीओ पूर्णिमा गर्ग से जांच कराई। एसओ रायपुर कुंदन राम ने बताया कि हरि प्रसाद और मनोहर के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
2021 में बिना बयान लिए मामला किया रफा-दफा
सुनील सिंह ने वर्ष 2022 में भी इसकी शिकायत एसएसपी से की थी। इस पर एसएसपी ने रायपुर पुलिस से रिपोर्ट मांगी तो पता चला कि फरवरी 2021 में इसकी जांच की गई थी। लेकिन, उस वक्त न तो आरोपियों के बयान लिए गए और न ही गवाहों से और मामले को बंद कर दिया गया। आरोप यहां तक हैं कि दस्तावेज की जांच भी उस वक्त नहीं की गई।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना