रिपोर्ट – राकेश अरोरा
गदरपुर। सील स्लॉटर हाउस इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। बूचड़खाने के ताले तोड़कर अवैध मीट कारोबारी नियमों को ताक पर रखकर इसमें पशुओ को लाकर उनकी हत्या कर सरेआम मीट बेचने का कारोबार करने में जुटे हैं जबकि पशुपालन विभाग और प्रशासन इस गोरखधंधे पर मूकदर्शक की भूमिका निभा रहा है जिससे अवैध मांस विक्रेताओं के हौसले बढ़ते जा रहे हैं और वह सरेआम बेजुबान जानवरों की निर्ममता से हत्या कर अवैध मीट का कारोबार करने में जुटे हैं। बताते चलें कि उपरोक्त स्लॉटरहाउस को कुछ वर्ष पूर्व प्रशासन द्वारा सील किया गया था। वही, पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ रवि शंकर झा का कहना है कि गदरपुर में किसी को भी स्लॉटर हाउस चलाने की अनुमति नहीं है
ज्ञात हो कि शहर में प्रशासन द्वारा सील किए गए स्लॉटरहाउस के ताले तोड़कर अवैध रूप से मीट का कारोबार किया जा रहा है धड़ल्ले से चल रहे इस गोरखधंधे में नियमों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है जबकि अवैध रूप से चल रहे स्लॉटरहाउस को कुछ समय पूर्व प्रशासन ने सील कर दिया था परंतु अवैध मांस का कारोबार करने वाले कुछ लोग स्लाटर हाउस की सील को तोड़कर इसमें बेखौफ होकर बेजुबान जानवरों की हत्या कर प्रशासन को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सब कुछ जानते हुए भी पशुपालन विभाग इनकी कारगुजारीओ पर आंखें मूंदे बैठा है जिससे अवैध मांस कारोबारियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं अब देखना यह होगा कि अवैध मांस विक्रेताओं पर मेहरबान प्रशासन बंद पड़े स्लॉटर हाउस की सील को तोड़ने तथा नियमों को ताक पर रखकर पशुओं की हत्या को रोकने के लिए इन पशु तस्करों व मांस विक्रेताओं के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है यह तो आने वाला समय ही तय करेगा।
बीमार जानवरों के खुलेआम बिक रहे मीट पर अधिकारी खामोश
गदरपुर। क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा विभाग और नगर निगम के अधिकारियों की शह पर खुलेआम बीमार जानवरों का वध कर उनका मीट बेचा जा रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता एवं साफ सफाई को दरकिनार कर खुले में बेचे जा रहे मीट को खाने से लोगों के स्वास्थ पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नियमानुसार किसी भी बकरे. मुर्गे, मछली या किसी बड़े पशु को काटने से पूर्व पशु चिकित्सक से उनके स्वास्थ्य की जांच करवाना अनिवार्य है। परंतु नियमों को ताक पर रख चल रहे गोरखधंधे पर पशुपालन विभाग के अलावा खाद्य सुरक्षा विभाग एवं नगर निगम के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। जबकि मीट की दुकानों में बिना परीक्षण के जानवरों का मांस बेचा जा रहा जानवर कहा काटे जा रहे है इससे अधिकारी पूरी तरह से बेखबर है। जबकि इसकी जिम्मेदारी पशुपालन विभाग को सौंपी गई है। पशुपालन विभाग की जांच के उपरांत ही कोई भी मांस विक्रेता पशु का वध कर उसके मांस की बिक्री कर सकता है मांस की गुणवत्ता को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देने के बजाय पशुपालन विभाग इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग एवं नगर पालिका परिषद को जिम्मेदार बताकर अपना पल्ला झाड़ रहा हैं।