एफआईआर दर्ज होने के बाद क्यों है महंत और उसके बेटे पर पुलिस मेहरबान।
रुद्रपुर। बीती 2 अप्रैल को आदर्श कॉलोनी स्थित सिद्धेश्वर श्री बालाजी मंदिर से बरामद हुए नेपाल मूल के नाबालिक बच्चे के ब्यान दर्ज कर एफआईआर होने के बाद से आज तक कोतवाली पुलिस ने ना तो आरोपी महंत से पूछताछ की और ना ही आरोपी बेटे से।
आपको बता दे कि नेपाल के रहने वाले नाबालिक को पिछले करीब साढ़े तीन साल से रुद्रपुर के आदर्श कालोनी स्थित सिद्धेश्वर श्री बालाजी मंदिर के महंत रमेश वशिष्ठ और उनके बेटे ब्रजरज अभिषेक वशिष्ठ पर जबरन बंधक बनाकर रखने और बाल श्रम कराने का आरोप था।
जिसके बाद महंत की कैद में बंद नाबालिक का भाई नेपाल से रुद्रपुर पहुंचा तो उसके साथ बचपन बचाओ आंदोलन और चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम भी नाबालिक को कैद से छुड़ाने के लिए दिल्ली और देहरादून से रुद्रपुर आई।
जिसके बाद बचपन बचाई आंदोलन के पदाधिकारियों ने सबसे पहले सुबह सुबह सिद्धेश्वर श्री बालाजी मंदिर में पहुंचे और नाबालिक से बातचीत कर वीडियो बनाई, जिसमे नाबालिक ने कहा कि मुझे यह से ले जाओ ,
जो वीडियो हम आपको जल्द दिखायेंगे।
जिसके बाद नाबालिक का भाई पूरी टीम के साथ रुद्रपुर सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह से मिले और पूरी कहानी बताई।
जिसके बाद पुलिस टीम की मदद से नाबालिक को कड़ी मशक्कत के बाद महंत के चुंगल से छुड़ाकर बाल कल्याण समिति ले जाया गया।
जहा नाबालिक के भाई ने लिखित शिकायत दी और नाबालिक के ब्यान दर्ज किए गए थे।
जिसमे नाबालिक ने बताया था कि उसको समय से खाना नही दिया जाता था, मारपीट की जाती थी, और पूरे मंदिर, धर्मशाला, गौशाला की साफ सफाई समेत अन्य काम कराए जाते थे।
जिसके बाद रुद्रपुर कोतवाली पुलिस ने 3 अप्रैल को महंत रमेश वशिष्ठ और उनके बेटे बृजरज अभिषेक वशिष्ठ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
लेकिन एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद से अभी तक उक्त मामले में पुलिस ने ना तो महंत से पूछताछ की और ना ही उनके बेटे से।
सूत्रों की माने तो महंत लगातार शिकायतकर्ता परिवार से संपर्क साधकर मामले को रफा दफा कराने की जुगत में जुटा हुआ है।
वही उक्त मामले में पुलिस ने महंत के मंदिर में लगे करीब 1सप्ताह के सीसीटीवी फुटेज की वीडियो निकाली है।
लेकिन जांच अभी तक ठंडे बस्ते में है।
महंत और उसके बेटे पर आखिर क्यों है पुलिस मेहरबान इस बात का जबाब देने वाला कोई नहीं है।
फिलहाल देखते है कि आखिर कब तक रुद्रपुर पुलिस की नींद खुलती है और कब तक जांच को आगे बढ़ाकर कार्यवाही की जाती है।