उत्तराखंड राज्य में बीते दिनों कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि कई बड़े नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। बता दें की आने वाले लोकसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, उत्तराखंड में आंतरिक मोर्चे पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।
बता दें की इस चुनाव से पहले ही विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में असंतुष्टों ने पार्टी का दामन छोड़ दिया। कांग्रेस का प्रदेश संगठन और केंद्रीय नेतृत्व भी इन स्थितियों से असहज है। असंतोष को थामने और नेताओं के जाने से चुनाव में लगने वाले संभावित झटके का आकलन किया जा रहा है। जवाबी रणनीति के रूप में कद्दावर नेताओं को लोकसभा क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो सके। वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा बना हुआ है।
वहीं पार्टी की चिंता उत्तराखंड में लगातार हार से उबरने की तो है ही, साथ में इन हालात में भाजपा से इतर भी अन्य राजनीतिक दल उसके लिए चुनौती बन सकते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों सूपड़ा साफ होने की नौबत नहीं आने देना चाहती। इस रणनीति को ध्यान में रखकर पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए संगठन सक्रिय है। इस राह में पेच पार्टी क्षत्रपों के बीच बढ़ती दूरियां और टिकट की दावेदारी को लेकर है। इससे पार्टी में असंतोष दूर करने की कवायद परवान नहीं चढ़ पा रही है।
पार्टी के रणनीतिकार भी मानते हैं कि भाजपा से मिल रही कड़ी चुनौती का मुकाबला एकजुट होकर ही किया जा सकता है, लेकिन चुनाव से पहले पार्टी के पक्ष में बनाए जाने वाले वातावरण को असंतुष्टों से चुनौती मिलना शुरू हो गई है।असंतोष की सुगबुगाहट सबसे बड़ी चिंता भी है। हरिद्वार लोकसभा सीट पर अभी प्रत्याशी का चयन नहीं हुआ है, लेकिन रुड़की क्षेत्र से मनोहर लाल शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ दी। शर्मा कभी विधानसभा चुनाव में टिकट के प्रबल दावेदार माने जाते थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर भी उन्होंने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा था।
नैनीताल संसदीय क्षेत्र के जसपुर से हाल ही में एमपी सिंह एवं तरुण पंत ने भी समर्थकों के साथ कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। एमपी सिंह कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी भी यह मान रही है कि चुनाव से पहले इस भगदड़ के माध्यम से अच्छा संदेश नहीं गया है, यद्यपि भाजपा के खेमे में इससे खुशी की लहर है। सत्ताधारी दल इसे अपने बढ़ते जनाधार के रूप में देख रही है। वहीं कांग्रेस संगठन ने ऐसे मामलों में सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। साथ ही पार्टी हाईकमान को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा रहा है। शीघ्र ही लोकसभा क्षेत्रवार बड़े नेताओं को कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की मुहिम चलाई जाएगी।
वहीं उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रदेश संगठन वर्तमान स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है। किन कारणों से उन्होंने पार्टी छोड़ी, उसकी रिपोर्ट हाईकमान के सामने रखी गई है। कुछ नेताओं का जाना चिंता का विषय नहीं है। पार्टी मजबूती से चुनाव की तैयारी में जुटी है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना