उत्तराखंड: प्रदेश में सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर कितने ही दावे और वादे क्यों न कर ले परंतु आज शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो रही है बता दें की, वहीं अब अपनी वाहवाही करवाने के लिए सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। बता दें की इसका ताजा उदाहरण अटल उत्कृष्ट विद्यालय हैं, बता दें की इन स्कूलों को सीबीएसई से संबद्धता करवाकर शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों की गाथा तो गाई गई, लेकिन जब परिणाम आया तो स्कूलों में पढ़ने वाले कई छात्र परीक्षा तक उत्तीर्ण नहीं कर पाए हैं। हालांकि अब आनन-फानन में ऐसे विद्यालयों से जवाब तलब किया गया है। जिन अटल उत्कृष्ट स्कूलों का खूब प्रचार प्रसार किया गया, वो परिणाम आने पर फिसड्डी साबित हुए हैं। साल 2019-20 में राज्य के 190 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता करा दिया गया है. ऐसा बताया गया है कि जैसे शिक्षा विभाग ने न जाने कौन सी उपलब्धि हासिल कर ली हो, लेकिन जब परिणाम आए तो पता चला कि इंटरमीडिएट में कुल छात्रों के मुकाबले आधे छात्र परीक्षा भी पास नहीं कर पाए हैं हाई स्कूल में रिजल्ट 60% के ही आसपास रहा है।
वहीं अब अपनी गलतियों को छुपाने के लिए इसपर राज्य के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब कर लिया है। सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सीबीएसई से संबद्धता वाले स्कूलों का रिजल्ट संतोषजनक नहीं रहा है। लिहाजा जिन स्कूलों का परीक्षा परिणाम 50% से भी कम रहा है, उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाए। वहीं इस आदेश में यह भी साफ किया गया कि परीक्षा फल के दौरान जिन छात्रों के कंपार्टमेंट श्रेणी में रखा गया है. ऐसे छात्रों को बेहतर तैयारी करवाने के लिए संबंधित विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी स्कूल खुले रहेंगे और उससे संबंधित विषय के अध्यापक छात्रों की बेहतर पढ़ाई को सुनिश्चित करेंगे। साथ ही इस आदेश की मॉनिटरिंग और समीक्षा हर सप्ताह किए जाने के भी निर्देश दिए गए है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना