उत्तराखंड: राज्य के चमोली जिले के जोशीमठ के हालात बेहद गंभीर बने हुए ये प्राचीन स्थल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बता दें की आज जोशीमठ के कई घरों और होटलों पर बोल्डोजार चलेगा साथ ही साथ राज्य सरकार द्वारा जोशीमठ के विस्थापन और पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार से आपदा राहत पैकेज की मांग भी करेगी। आपको बता दें की उत्तराखंड राज्य में जोशीमठ की तरह कई जिलों के इलाकों में भी पानी का रिसाव हो रहा है साथ ही दरारें भी पड़ रही है। उत्तरकाशी के बाद अब जोशीमठ की तरह नैनीताल के बलियानाला पहाड़ी पर हर रोज लाखों लीटर पानी का रिसाव हो रहा है। भार क्षमता पूरी कर चुके शहर में हो रहे अनियोजित निर्माण कार्य ने चिंता और भी बढ़ा दी है। ऐसे में समय रहते ठोस उपाय नहीं किए गए तो यहां भी जोशीमठ जैसी आपदा आ सकती है।
इसके साथ ही बता दें की जोशीमठ के तरह अब नैनीताल के हालात भी भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील बने हुए है। मिली सूचना के मुताबिक आपको बता दें की नैनीताल शहर की तलहटी में स्थित बलियानाला पहाड़ी पर हो रहा पानी का रिसाव बड़े संकट का संकेत है। बता दें की कई विशेषज्ञों और भूविज्ञानियों के अध्ययन के बाद इस रिसाव को पहाड़ी पर भूस्खलन का कारण माना गया है। दो वर्ष पूर्व सिंचाई विभाग और आइआइटी रुड़की की ओर से जल रिसाव का जियोफिजिकल सर्वे कराया गया था। आपको बता दें की विज्ञानियों ने रईस होटल से सिपाही धारा तक के क्षेत्र में भूमिगत जल की अधिकता से रिसाव होने की बात कही थी। बता दें की वर्ष 2016 में झील के जलस्तर में भारी गिरावट आने के बाद इस पानी को झील का होने की चर्चा आम हो गई थी। मगर तब विज्ञानियों ने इसे झील का पानी होने से मना कर दिया था।
आपको बता दें की नैनीताल के बलियानाला पहाड़ी में करीब आठ एमएलडी पानी का हो रहा रिसाव, बात दें की जियोफिजिकल सर्वे के दौरान करीब आठ मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) पानी रिसाव होने की पुष्टि हुई। यह इतना पानी है कि पूरे नैनीताल को पेयजल आपूर्ति की जा सकती है। रिस रहे पानी को लिफ्ट करने की परियोजना को बलियानाला भूस्खलन रोकथाम प्रोजेक्ट में शामिल कर इसे शासन से स्वीकृति मिल गई है। मगर शहर के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए पानी के रिसाव का शीध्र प्रबंधन अनिवार्य हो गया है।