इंसान हो या फिर वन्यजीवों कोई ना कोई जीव या इंसान लोगों के मन में अपने व्यवहार की वजह से अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है। ऐसा ही कुछ वाक्य रामनगर के कॉर्बेट पार्क में साल 1981 के आसपास का है, जब एक बाघ ने राजीव गांधी और उनके मित्र अमिताभ बच्चन की राह रोक दी थी।
दरअसल, आपको बता दें की ये दोनों मित्र कॉर्बेट सफारी के लिए आए थे और उनका सामना ऐसे बाघ से हुआ जो मुख्य सड़क पर घंटों बैठ जाया करता था, जिसकी वजह से लंबा जाम लग जाता था। अपनी मर्जी से ही हटता था जिसकी वजह से लोग उस बाघ को ढीठ बोलने लगे और उसका नाम पड़ गया ढीटू। कॉर्बेट पार्क में 45 वर्ष से पर्यटकों को सफारी करा रहे 78 साल के मोहम्मद नबी ने बताया कि तारीख तो याद नहीं लेकिन 1981 में सदी के नायक अमिताभ बच्चन अपने मित्र पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी और अन्य परिजनों के साथ खिनानौली विश्राम गृह जा रहे थे
विश्राम गृह से कुछ दूर मुख्य सड़क पर ढीटू बाघ बैठा था और उसने कई घंटे से लंबा जाम लगा रखा था जिसमें अभिनेता बच्चन और पूर्व पीएम राजीव गांधी भी करीब आधा घंटा जाम में फंसे रहे। नबी ने बताया कि ढीटू काफी सीधा था, अगर वह सड़क से चल रहा है और पर्यटकों ने अपने वाहन रोक रखे हैं तो वह वाहन को सूंघते हुए निकल जाता था। किसी को कुछ नहीं करता था।
ढीटू की एक खास बात ये थी कि वह खिनानौली के आसपास ही रहता था। पर्यटकों को आसानी से दिख जाता था। अगर मुख्य सड़क पर ढीटू बाघ नहीं दिखता तो वह कच्चे वाटर हॉल या रामगंगा नदी में दिखाई दे जाता था
1985 में पकड़ा गया ढीटू बाघ
कॉर्बेट पार्क में पहले चुनिंदा जगहों पर पर्यटकों को पैदल घूमने की अनुमति थी। 1985 में रामगंगा किनारे विदेशी बर्ड वार्चर का दल आया था। उस दल में एक थे डेविट हंट जो एक उल्लू को पेड़ में उड़ता देख रहे थे। उल्लू को देखते हुए वह अचानक शांति से लेटे ढीटू बाघ के ऊपर चढ़ गए, जिससे घबराकर ढीटू बाघ ने उन पर हमला कर दिया जिसमें उनकी मौत भी हो गई। इस घटना के बाद पर्यटकों का पैदल भ्रमण बंद हो गया और बाद में ढीटू बाघ को पकड़कर कानपुर चिड़ियाघर भेज दिया गया था।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना