उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण-भराड़ीसैंण के विधानसभा परिसर में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री धामी दोपहर 12:40 बजे हेलीकॉप्टर से भराड़ीसैंण हेलीपैड पर पहुंचे. इसके बाद पुलिस के जवानों और एनसीसी कैडेट्स द्वारा रैतिक परेड का आयोजन किया गया. परेड में पुलिस की महिला टुकड़ी भी शामिल रही. मुख्यमंत्री द्वारा परेड की सलामी ली गई और झंडारोहण किया. विधानसभा परिसर में विभिन्न विभागीय स्टालों का निरीक्षण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा सभी योजनाओं का लाभ और जानकारी आम जनता तक पहुंचना जरूरी है।
राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम में महिला मंगल दलों व स्थानीय स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न लोक नृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड राज्य को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की देन बताते हुए कहा कि वर्तमान में मोदी सरकार उत्तराखंड को संवारने का काम कर रही है. तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक बताते हुए उन्होंने कहा कि केदारखंड के साथ ही मानसखंड को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने से उत्तराखंड का पर्यटन आर्थिकी का बड़ा माध्यम बनेगा. इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुसार कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान के तहत विकास, चारधाम सड़कों का विकास, कर्णप्रयाग रेल निर्माण सहित राज्य व केंद्र सरकार की तमाम उपलब्धियों को बताया।
दूसरी तरफ राज्य स्थापना दिवस पर ग्रीष्मकालीन राजधानी परिसर भराड़ीसैंण में आयोजित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में गैरसैंण क्षेत्र के राज्य आंदोलनकारियों को बैठने का स्थान ना दिए जाने से नाराज आंदोलनकारी कुछ देर जमीन पर बिछाई गई टाटपट्टी पर ही बैठ गए. इसके बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा नाराज आंदोलनकारियों के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की. नाराजगी का मामला यहीं नहीं थमा. तय कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री द्वारा 10 आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाना था. आंदोलनकारियों ने पहले ये कहते हुए सम्मान लेने से इनकार कर दिया था कि जब तक सरकार आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की घोषणा सहित अन्य मांगें नहीं मानती है, वे सम्मान नहीं लेंगे।
वहीं, मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिए जाने व जल्द इसे लागू करने की बात कही. लेकिन आखिरी वक्त पर स्थानीय प्रशासन द्वारा आंदोलनकारियों के सम्मान कार्यक्रम को रद्द कर दिया. इससे नाराज आंदोलनकारी कार्यक्रम स्थल से थोड़ी दूरी पर विधानसभा परिसर की सड़क पर बैठ गए. इस दौरान आंदोलनकारियों ने ‘आंदोलनकारियों का अपमान नहीं सहेंगे’ के नारे लगाते हुए अपना आंदोलनकारी का परिचय पत्र वापस देने की बात कही।
इस दौरान उपजिलाधिकारी संतोष पांडेय के साथ उनकी तीखी नोकझोंक व जमकर बहस हुई. जिसके बाद आंदोलनकारियों को मुख्यमंत्री की वापसी तक पुलिस के घेरे में रखा गया. आंदोलनकारी संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष हरेंद्र सिंह कंडारी ने कहा कि एसडीएम संतोष पांडेय द्वारा मुख्यमंत्री को गुमराह करके जानबूझकर कार्यक्रम में बुलाए गए राज्य आंदोलनकारियों को अपमानित किया गया. पुलिस घेरे में रखे जाने के दौरान उन्हें पानी तक नहीं दिया गया।
वहीं दूसरी तरफ राज्य स्थापना दिवस पर गैरसैंण को लेकर क्षेत्रवासी टकटकी लगाए मुख्यमंत्री की घोषणाओं का इंतजार कर रहे थे. उन्हें उम्मीद थी कि ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र के विकास, गैरसैंण को जिला बनाए जाने, गैरसैंण झील निर्माण जैसे मुद्दों को लेकर क्षेत्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री कोई बड़ी घोषणा करेंगे. लेकिन कोई बड़ी घोषणा ना होने से एक बार फिर क्षेत्रवासी मायूस दिखे. हालांकि, विधायक कर्णप्रयाग अनिल नौटियाल की मांग पर मुख्यमंत्री ने गैरसैंण क्षेत्र के विकास के लिए कई घोषणाएं की।