उत्तराखंड: राज्य के सरकार द्वारा पहाड़ के विकास की बड़ी बड़ी बातें झूंठी साबित हो रही है बता दें की बागेश्वर का एक गांव इस बात की पोल भी खोलता है। बता दें की बागेश्वर के भंडारी गांव की महिलाओं ने सरकार हताश होकर खुद ही फावड़ा उठाकर सड़क बनाना शुरू कर दिया। आपको बता दें की इन महिलाओं ने लगभग बीस साल के लंबे इंतजार और सरकार से लगातार गुहार लगाने के बाद भी सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर खुद ही फावड़ा और बेलचा उठा लिया।
आपकोभता दें की गांव की महिलाएं अब खुद सड़क निर्माण में जुट गई हैं महिलाओं का ये कदम सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है तो साथ ही ग्रामीण जीवन की दुर्दशा को भी दिखाता है। बता दें की ये महिलाएं खुद बना रही हैं सड़क यूं तो पहाड़ की महिलाएं हमेशा ही पहाड़ सा जीवन जीती रही हैं पहाड़ की महिलाएं अगर कुछ ठान लेती हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेती हैं बता दें की ये बात सच है क्योंकि इस बार भंडारी गांव की महिलाओं ने गांव तक सड़क बनाने की ठान ली है। बता दें की इसको ये महिलाएं संकल्प मान कर चल रही हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकारों पर से अब भरोसा उठ चुका है करीब दो दशकों से वह सड़क का इंतजार कर रही हैं, लेकिन सरकारों की कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।
बता दें की महिलाओं ने आगे बताया की उनके गांव को अटल आदर्श गांव तो घोषित कर दिया गया है, पर हालात जस के तस ही बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई परिवार सड़क के अभाव में गांव से पलायन भी कर चुके हैं जो बचे हैं, उनको भी अब पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। किसी आपात स्थिति में सड़क ना होने का दर्द महसूस होता है इस बार उन्होंने ठान लिया है की सरकार कुछ करे ना करे हम अब इस काम को पूरा करेंगे। बता दें की उन्होंने कहा की भंडारी गांव तक सड़क का निर्माण अब खुद करके रहेंगे। इसलिए सभी महिलाओं ने फावड़ा और बेलचा लेकर पहाड़ को काटना शुरू कर दिया है बताते चलें कि गांव के ज्यादातर पुरुष रोजगार की तलाश में शहरों में रहते हैं। बता दें की इस गांव की महिलाएं पारिवारिक जिमेदारियों के साथ-साथ दो किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के लिए जुट पड़ी हैं।
वहीं आपको बता दें की गांव के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने आरोप लगाया कि डबल इंजन की सरकार किसी काम की नहीं रही है। आज गांव की महिलाएं सरकार को आईना दिखा रही हैं कि सरकार आखिर गरीबों और असहायों के लिए कितना सोच रही है। एक यही गांव नहीं है जहां ये समस्या है. जिले के अनेकों गांव आज भी सड़क से वंचित हैं।
साथ ही आपको बता दें की गांव के सामाजिक कार्यकर्ता और क्षेत्रवासी गोबिंद भंडारी ने बताया कि इस दौर में भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहे लोगों के लिए काफी दुख होता है। एक तरफ सरकारें आती जाती हैं और काफी वादे भी करती हैं दूसरी तरफ उनके वादों का असर ये दिखता है जहां ग्रामीण महिलाओं और बुजुर्गों को सरकार के वादों से दुखी हो खुद ही सड़क बनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ये सरकार की नाकामी है।
रिपोर्ट- साक्षी सक्सेना