उत्तराखंड: राज्य में पहाड़ी क्षेत्रों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही। सरकार द्वारा तमाम वादे और दावों के बाद भी पहाड़ी इलाकों की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। 21वीं सदी में भी आज भी पहाड़ी इलाकों में उचित शिक्षा, अस्पताल की व्यवस्था तक नहीं है। पहाड़ के कई इलाकों में आज भी अस्पताल तक जाने के लिए डंडों का सहारा लेना पड़ता है एक ऐसा ही मामला सामने आया है जो राज्य विकास को दिखाता है है बता दें की उत्तराखंड राज्य के जौनसार के दूरस्थ गांव उदांवा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वीडियो में जिम्मेदारों की लापरवाही से परेशान ग्रामीणों की विवशता झलक रही है बता दें की जो राज्य सरकार के आत्मनिर्भर गांव बनाने के दावों की पोल खोल रही है।
आपको बता दें की राज्य के जौनसार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है इस वायरल वीडियो में ग्रामीण एक बीमार बुजुर्गों को ठंडी के सहारे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए और उबड़ खाबड़ पगडंडियों पर चलते दिखाई दे रहे हैं। पगडंडी भी ऐसी की डंडी को कंधा देने वाले एक व्यक्ति का पेड़ फैसला तो बीमार समय ठंडी को कंधा देने वाले सभी लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है। वीडियो रविवार सुबह का है उदांवा की प्रधान तारा देवी क्षेत्र पंचायत सदस्य महेंद्र चौहान ने बताया कि गांव के बुजुर्ग लाभचंद चौहान की अचानक तबीयत बिगड़ गई। बता दें की बुजुर्ग चलने फिरने में असमर्थ थे गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए करीब 5 किमी की दूरी उबर खाबर पगडंडी से होकर नापनी पढ़ती है संकरी पगडंडी के एक ओर चट्टान है तो दूसरी और गहरी खाई है। बावजूद बुजुर्ग उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाना जरूरी था लिहाजा ग्रामीणों ने डंडी में बुजुर्ग को लिटा कर अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की।
इसके साथ ही बता दें की लगभग 3 घंटे का यह मुश्किल सफर तय करने के बाद यह लोग सड़क तक पहुंचे जहां से वाहन द्वारा बीमार व्यक्ति को विकासनगर अस्पताल उपचार के लिए ले जाया गया। ग्रामीण अतर सिंह प्रताप सिंह जयपाल मातबर सिंह नंतराम खजान सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में गांव के लिए सड़क स्वीकृत की हुई थी। लेकिन वन विभाग ने अनापत्ति नहीं मिलने के कारण सड़क निर्माण का कार्य नहीं शुरू हो सका। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अक्सर ऐसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है पटवारी और भारी बरसात के दौरान भी रोजमर्रा के सामान के लिए 5 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है। उबड़ खाबड़ पगडंडी पर सफर करते हुए दुर्घटना का खतरा बना रहता है ग्रामीणों ने कहा कि 21वीं सदी में बीमार व्यक्ति को डंडी के सहारे अस्पताल तक ले जाना सरकारों की नाकामी का नतीजा है।
इसके साथ ही आपको बता दें कि चकराता के एसडीएम सौरभ असवाल ने बताया कि तहसील क्षेत्र के सड़क सुविधा से विभिन्न गांवों की सूची शासन को भेजी जाएगी साथ ही जिन गांव के लिए सड़क निर्माण की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है उनमें आने वाली रुकावट ओ को जल्द दूर करने मार कार्य शुरू कराया जाएगा।