रिपोर्ट: अनुज कुमार शर्मा
खटीमा
उत्तराखंड में वन विभाग ने दीपावली के अवसर पर उल्लुओं की जान पर मंडराते खतरे को देखते हुए विभाग में रेड अलर्ट जारी कर दिया है। यह अलर्ट विभाग ने तराई पूर्वी वन क्षेत्र के उन इलाकों में घोषित किया है जहां बहुतायत में उल्लू पाए जाते हैं। कुमाऊं मंडल तराई पूर्वी वन क्षेत्र के डीएफओ संदीप कुमार ने विभागीय अलर्ट जारी करते हुए सभी संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उल्लुओं के शिकार को रोकने के लिए निर्देशित किया है। विभाग ने इस अलर्ट के चलते इस दौरान कर्मचारियों को दी गई छुट्टियों को भी रद्द कर दिया है। बताते चले की अक्सर दीपावली के अवसर पर होने वाले तांत्रिक अनुष्ठान से जुड़े अंधविश्वास के चलते तांत्रिकों द्वारा उल्लू की डिमांड बढ़ जाती है। जिसको पूरा करने के लिए वन्य जीव तस्करों की फौज जंगलों में उत्तर पड़ती है और अंधाधुंध तरीके से उल्लू का शिकार करने लगती है। दीपावली पर होने वाले तांत्रिक अनुष्ठानों में उल्लू के प्रयोग का बहुत महत्व बताया गया है। क्योंकि उल्लू लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। जिसके चलते दीपावली के अवसर पर उल्लू की कीमतें आसमान छूने लगती है। जिस कारण दीपावली के अवसर पर जंगल में प्राकृतिक चक्र को चलाने वाले निशाचर जीव उल्लू की जान पर खतरा मंडराने आने लगता है। इसी खतरे को देखते हुए वन विभाग ने उत्तराखंड के नेपाल सीमा से लगे सीमावर्ती वन क्षेत्र में विशेष अभियान चलाया है। जिसके तहत सभी उल्लू बाहुल्य वन क्षेत्रो में वन विभाग के कर्मचारी दल बनाकर गश्त कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में वन विभाग के साथ एसएसबी के जवान भी इन गश्ती दलों में शामिल किए जाते हैं। तराई पूर्वी वन विभाग के एसडीओ संतोष पंत ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे अवैध शिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए विभाग ने प्लान तैयार कर लिया है। ऐसे कार्यों में संलग्न पाए जाने पर अपराधी के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। वही खटीमा सुरई रेंज के वन क्षेत्र अधिकारी राजेंद्र मनराल ने जानकारी देते हुए बताया कि उच्च अधिकारियों के आदेश पर सभी वनकर्मी हाई अलर्ट पर हैं। संभावित वन क्षेत्र में रात दिन अलग-अलग गश्ती दलों के द्वारा गश्त की जा रही हैं। यह अलर्ट दीपावली के अगले दिन तक जारी रहेगा।