भारत के साथ साथ पूरे विश्व में जब से कोविड की दस्तक हुई है, तब से पूरे देशभर में एंटीबायोटिक का उपयोग काफी बढ़ गया है, कोविड के डर मात्र से लोग हल्की सी परेशानी होने पर दवा ले लेते हैं, ओवर द काउंटर मिलने वाली एंटीबायोटिक के अंधाधुंध इस्तेमाल के चलते काफी नई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, अब लोग बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन कर रहे हैं, वायरल इंफेक्शन, सीजनल फ्लू और बुखार में लोग एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं। इससे एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस बढ़ रहा है, इस वजह से शरीर पर दवाओं का असर होना बंद हो रहा है। ऐसे में डॉक्टरों को मरीज का ट्रीटमेंट करने में परेशानी आ रही है।
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि लोगों को बिना डॉक्टरों की सलाह के दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे लिवर, किडनी और हार्ट की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल सेबैक्टीरिया और पैथोजन का परस्पर संतुलन भी बिगड़ रहा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में इंफेक्शियस डिजीज की डॉ नेहा रस्तोगी बताती हैं कि एंटीबायोटिक दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है, इस वजह से कई तरह के साइड इफेक्ट हो रहे हैं। लोगों की किडनी, लिवर को नुकसान पहुंच रहा है एंटीायोटिक्स के दुरुपयोग से शरीर में इन दवाओं के खिलाफ रेजिस्टेंस भी पैदा हो रहा है, इस वजह से कई दवाएं मरीजों पर असर नहीं कर रही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर में मौजूद खराब बैक्टीरिया को इन दवाओं की आदत पड़ गई है। ऐसे में ये दवाएं बैक्टीरिया पर असर नहीं कर रही हैं, चिंता की बात यह है कि दुनियाभर में एंटीबायोटिक्स का रेजिस्टेंस बढ़ रहा है, अब यह एक महामारी का रूप लेता जा रहा है, ऐसे में इसे रोकने की जरूरत है।
कई दूसरे कारण भी हैं
डॉ नेहा बताती हैं कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के पीछे कई वजह हो सकती हैं, इनमें एंटीबायोटिक का दुरुपयोग बड़ी वजह है, इसका मतलब है कि बीमारी किसी दूसरे बैक्टीरिया की वजह से हुई हो और फिर दवा दूसरी ले ली हो। दूसरा कारण यह है कि कई लोग डॉक्टर ने दवाओं का जो कोर्स बताया है, उसके भी ज्यादा समय तक दवाएं लेते रहते हैं, इस वजह से एंटीबायोटिक रसिजटेंस बढ़ रहा है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना