न जाने कितनी ही वर्षो से वेश्यालय की आंगन की मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनायी जा रही है, आपने देवदास फिल्म में भी एक सीन देखा होगा जहां ऐश्वर्या राय बच्चन वेश्यालय की मिट्टी मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के माधुरी दीक्षित के कोठे पर जाती है, अब सवाल यह है की इसके पीछे का कारण और रहस्य क्या हैं, जिससे लोग अनजान हैं, आइए जानें हैं इसके बारे में खास रहस्य।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
आपको बता दें की मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में कई जगहों की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, इसमें मुख्य रूप से गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर, कंसार (जहां अनाज भुना जाता है) की मिट्टी, राज दरबार की मिट्टी, इसके साथ वेश्यालय की मिट्टी को महत्व दिया जाता है। लोग उस वक्त आश्चर्य में पड़ जाते हैं कि आखिर वेश्यालय की मिट्टी इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं।
पटना के प्रसिद्ध डाक बंगला पूजा समिति के आचार्य पुरुषोत्तम ने इसके बारे में खास जानकारी दी, उन्होंने बताया कि आखिर वेश्यालय की मिट्टी से प्रतिमा क्यों बनायी जाती है, उन्होंने बताया कि कोई वेश्यालय में अंदर जाता है तो दरवाजे पर या फिर उसके आंगन में ही पूण्य रह जाता है, इसलिए वहां की मिट्टी पवित्र मानी जाती है।
इसके अलावा कई मान्यताएं है, मान्यता के अनुसार मां दुर्गा को महिषासुरमर्दनी भी कहा जाता है। राक्षस प्रवृत्ति का महिषासुर ने मां दुर्गा का बहुत अपमान किया था, उसने मां के सम्मान को ठेस पहुंचाई थी, मां दुर्गा को जब क्रोध आया तो उन्होंने महिषासुर का संहार किया था। एक यह भी वजह है कि तमाम अपमान, अभद्र व्यवहार को लेकर महिलाएं वेश्यावृत्ति करती हैं और उनके समाज में एक निम्न स्थान होता है,।ऐसे में उस घर की मिट्टी को शुभ माना जाता है।
सनातन धर्म के अनुसार, जो इस धरती पर जन्म लिया, वह सभी भगवान के संतान हैं, वेश्या जो अपनी जिंदगी चुनती है, उसे सबसे बड़ा अपराध माना जाता है। सनातन धर्म में उसकी मुक्ति का भी यह एक साधन है, उसके बुरे कर्मों की मुक्ति के लिए उनके घर की मिट्टी का उपयोग मां दुर्गा की प्रतिमा में बनाने में किया जाता है ताकि मन्त्रोचार से उनके पाप को दूर किया जा सके।
मान्यता के मुताबिक सनातन धर्म में पूजा-पाठ में हर उस व्यक्ति की भूमिका होनी चाहिए, समाज में रहता है, चाहे वह पाप कर्म करता हो या फिर उसका स्थान सबसे निम्न हों। वेश्याओं को सामाजिक रूप से अलग कर दिया जाता है, लेकिन, मां दुर्गा की पूजा में कन्या की पूजा होती है। ऐसे में उन्हें भी इस पूजा में शामिल होने का अधिकार है जो हर किसी को होता है, लेकिन सार्वजनिक रूप में किसी के साथ पूजा में खड़ी नहीं हो सकती हैं, इसलिए वहां की मिट्टी से मां की प्रतिमा बनाकर वेश्या को समाज से जोड़ा जाता है।
इस को लेकर एक अलग ही मान्यता है, बताया जाता है कि एक ऋषि अपने आश्रम के सामने मां दुर्गा के नौ रूप की मूर्ति को स्थापित किए थे, लेकिन, प्राण प्रतिष्ठा होने से पहले रात में मां दुर्गा सपने में आईं, उन्होंने कहा कि ‘मेरी पूजा तभी सफल होगी जब लोग घमंड छोड़कर इंसानियत और बलिदान के साथ पूजा करेंगे’, ऋषि ने पूछा, ‘इसके लिए क्या करना होगा’ तो मां ने वेश्यालय की मिट्टी से प्रतिमा बनाने के लिए कहा…
मां दुर्गा ने ऋषि को कहा था कि ‘मेरी प्रतिमा में तवायफ के आंगन की मिट्टी लगाकर बनाओ तब मेरी प्राण प्रतिष्ठा संपूर्ण मानी जाएगी’। मां ने कहा कि ‘जिन लोगों को समाज में उपेक्षित कर दिया जाता है, उन्हें पापी समझा जाता है, लेकिन, वह अपनी मर्जी से पाप नहीं करते हैं, उनका शोषण किया जाता है। वह भी मेरे आशीर्वाद के हकदार हैं.’ अगले दिन ऋषि ने वेश्यालय से मिट्टी मंगाकर मां की प्रतिमा को पुनः स्थापित किया, तब से मान्यता है कि वेश्यायलयों की मिट्टी से मां की प्रतिमा बनायी जाती है।
नोटः यह सारी जानकारी मान्यताओं पर आधारित है, हम किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करते…