Friday, December 1, 2023
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*Shardiya Navratri: भारत के अलावा इन देशों में भी हैं माता के प्रमुख मंदिर, जानिए कहां-कहां स्थित हैं ये शक्तिपीठ?👉….*

मां दुर्गा शक्ति का रूप है जिनके अनेकों रूप भी है, कोई शांति का तो कोई विनाश का, जब जब धरती पर पापियों को अत्याचार बढ़ा है माता ने अनेकों रूप लेकर पाप का नाश किया है और धर्म की स्थापना की है, आपको बता दें की भारत में माता के 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं… पढ़िए ये खास रिपोर्ट👇👇👇

रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना 

आपको बता दें की आज देवी दुर्गा की पूजा का महापर्व नवरात्रि शुरू हो चुका है। नवरात्रि में देवी मां के 51 शक्तिपीठों के दर्शन का विशेष महत्व है। जानिए मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ यानी 51 खास मंदिर कहां-कहां स्थित हैं और किस शक्तिपीठ पर देवी मां का कौन-सा अंग गिरा था…

 

ये है शक्तिपीठ बनने की कथा…

मान्यता है कि आदि शक्ति के एक रूप सती ने शिवजी से विवाह किया, लेकिन इस विवाह से सती के पिता दक्ष खुश नहीं थे। बाद में दक्ष ने एक यज्ञ किया तो उसमें सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया। सती बिना बुलाए यज्ञ में चली गईं। दक्ष ने शिवजी के बारे में अपमानजनक बातें कहीं। सती इसे सह न सकीं और सशरीर यज्ञाग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया। जब शिवजी को ये मालूम हुआ तो उन्होंने माता सती के जलते हुए शरीर को उठाकर विनाश नृत्य आरंभ कर दिया।

शिवजी के तांडव की वजह से संपूर्ण सृष्टि के विनाश का संकट खड़ा हो गया है। इस संकट को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की मदद देवी सती की देह के टुकड़े-टुकड़े कर किए। जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ बन गए। शक्तिपीठों के स्थानों और संख्या को लेकर ग्रंथों में अलग बातें कही गई हैं। आदि शक्तिपीठों की संख्या 4 मानी जाती है। कालिका पुराण में शक्तिपीठों की संख्या 26 बताई गई है। शिव चरित्र के अनुसार शक्ति पीठों की संख्या 51 हैं। तंत्र चूड़ामणि, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार शक्ति-पीठ 52 हैं। भागवत में शक्तिपीठों की संख्या 108 बताई गई है। यहां हम बता रहे हैं सबसे चर्चित 51 शक्तिपीठों के बारे में।

 

उत्तर भारत में हैं 9 शक्तिपीठ

1. कश्मीर या अमरनाथ : जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में। यहां माता का कण्ठ गिरा था।

2. कात्यायनी : वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में। यहां केशपाश गिरा था।

3. विशालाक्षी : उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर। दाहिने कान के मणि गिरे थे।

4. प्रयाग : उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थीं।

5. ज्वालामुखी : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है। यहां सती का जिह्वा गिरी थी।

6. जालंधर : पंजाब के जालंधर में है। यहां वामस्तन गिरा था।

7. देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र : हरियाणा के कुरुक्षेत्र के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है। इसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से मान्यता है। यहां माता का दहिना चरण गिरा था।

8. मगध : बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है। यहां माता की दाहिनी जंघा गिरी थी।

9. मानस शक्तिपीठ : तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है। माता की दाहिनी हथेली गिरी थी।

 

पश्चिम भारत में हैं 5 शक्तिपीठ

10. करवीर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में । माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।

11. जनस्थान : महाराष्ट्र में नासिक स्थित पंचवटी में। यहां माता की ठोड़ी गिरी थी।

12. अम्बाजी : गुजरात के बनासकांठा जिले में। यहां माता का दिल गिरा था। कुछ ग्रंथों में जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के शक्तिपीठ होने और उदर गिरने की मान्यता है।

13. मणिवेदिका : राजस्थान के पुष्कर में। गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है। यहां कलाइयां गिरी थीं।

14. विराट का अम्बिका : जयपुर के वैराटग्राम में। यहां सती के ‘दाएं पांव की अंगुलियां गिरी थीं।

 

दक्षिण भारत में हैं 5 शक्तिपीठ

15. गोदावरी तट : आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर। माता का बायां कपोल गिरा था।

16. शुचीन्द्रम : तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर, जहां सती के ऊर्ध्वदन्त गिरे थे।

17. श्री शैल : आंध्र प्रदेश के कुर्नूल के पास। माता की ग्रीवा गिरी थी।

18. कांची : तमिलनाडु के कांचीवरम में। यहां माता का कंकाल गिरा था।

19. कण्यकाश्रम कन्याकुमारी : तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर। यहां मतान्तर से ऊर्ध्वदन्त (ऊपर के दांत) गिरे थे।

 

पश्चिम बंगाल में हैं 10 शक्तिपीठ

20. किरीट : हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर। यहां किरीट यानी शिरोभूषण या मुकुट गिरा था।

21. अट्टहास : लाबपुर में है। यहां नीचे का होंठ गिरा था।

22. नन्दीपुर : सैन्थया में है। यहां कण्ठहार गिरा था।

23. नलहटी : बोलपुर में उदरनली गिरी थी।

24. बहुला : कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में है। यहां माता का वाम बाहु गिरा था।

25. त्रिस्तोता : जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर। यहां माता का वामपाद गिरा था।

26 . विभाष : मिदनापुर में है। यहां वाम टखना गिरा था।

27. युगाद्या : बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में है। यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था।

28. कालीघाट : कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां दाएं पांव का अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं।

29. वक्रेश्वर : सिन्थेया में है। यहां मन गिरा था।

 

पूर्वोत्तर भारत में हैं 5 शक्तिपीठ

30. कामाख्या : गुवाहाटी का कामगिरि पर्वत। योनिदेश गिरा था।

31. जयन्ती : मेघालय की जयन्तिया पहाड़ी। वाम जंघा गिरी थी।

32. त्रिपुरसुन्दरी : त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में। जहां माता का दायां पैर गिरा था।

33. विरजाक्षेत्र, उत्कल : उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है, जहां माता की नाभि गिरी थी।

34. वैद्यनाथ : झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर में है। यहां माता का हृदय गिरा था। मान्यता है, यहीं सती का दाह-संस्कार हुआ था।

 

मध्यप्रदेश में हैं 2 शक्तिपीठ

35. उज्जयिनी : मध्य प्रदेश के उज्जैन के क्षिप्रा के दोनों तटों पर। माता की कोहनियां गिरी थीं।

36. शोण : मध्य प्रदेश के अमरकंटक का नर्मदा मंदिर। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। यह भी मान्यता है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है।

 

पाकिस्तान सहित 4 देशों में 8 शक्तिपीठ

37. लंका : श्रीलंका में है। यहां नूपुर गिरे थे। यह ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है कि किस स्थान पर गिरे थे।

38. गण्डकी : नेपाल में गण्डकी नदी के उद‌्गम पर है। सती के कपोल गिरे थे।

39. गुह्येश्वरी : नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास है। यहां दोनों घुटने गिरे थे।

40. हिंगलाज : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में है। माता की ब्रह्मरन्ध्र गिरा था।

41. सुगंध : बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर है। यहां माता का नासिका गिरी थी।

42. करतोयाघाट : बांग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर। माता का वाम तल्प गिरा था।

43. चट्टल : बांग्लादेश के चटगांव में। यहां दाहिनी भुजा गिरी थी।

44. यशोर: बांग्लादेश के जैसोर खुलना में। यहां बायीं हथेली गिरी थी।

 

ये 7 शक्तिपीठों को लेकर है मतभेद

45. श्री पर्वत शक्तिपीठ: कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है।

46. पंच सागर शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है।

47. भैरव पर्वत शक्तिपीठ : कुछ लोग गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर इसे मानते हैं।

48. मिथिला शक्तिपीठ : नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा में इसका स्थाना माना जाता है।

49. रत्नावली शक्तिपीठ : कहा जाता है कि तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है।

50. कालमाधव शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है।

51. रामगिरि शक्तिपीठ : रामगिरि शक्तिपीठ कुछ लोग मध्यप्रदेश के मैहर में मानते हैं।

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