यमन में मौत की सजा पाने वाली भारतीय नर्स का मामला शुक्रवार को एक बार फिर चर्चा में आया. जब दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर भारतीय नर्स की मां को यमन जाने की अनुमति देने पर निर्णय लेने को कहा, दरअसल भारतीय नर्स निमषिा प्रिया पर यमन में हत्या का आरोप लगा था…
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
इसी मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है, निमिषा की मां यमन में जाकर पीड़ित के परिवार के साथ बातचीत करना चाहती हैं, ताकि किसी तरह निमिषा को आजादी मिल सके।
कतर में आठ भारतीयों को मौत की सजा दिए जाने का मामला अभी तक सुलझा भी नहीं था कि शुक्रवार को यमन में भारतीय नर्स को मौत की सजा दिए जाने का मामला चर्चा में आया. दरअसल शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने निमिषा प्रिया की मां की याचिका पर सुनवाई की. जिसमें उन्होंने पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए यमन जाने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक सप्ताह के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा है. दरअसल यमन में 2016 में हुए गृहयुद्ध के बाद से आने-जाने पर पाबंदी है.
कौन हैं निमिषा प्रिया
निमिषा केरल के पलक्कड़ की रहने वाली भारतीय नर्स हैं जो पिछले एक दशक से यमन में रहती हैं, जब 2016 में यमन में गृहयुद्ध हुए और आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई, उससे दो साल पहले ही उनके पति और बेटी भारत लौट आए थे. हालांकि निमिषा वापस नहीं लौट पाईं थीं. जुलाई 2017 में उन्हें यमनी नागरिक की हत्याके आरोप में जेल में डाल दिया गया था. इसी मामले में कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. हाल ही में उन्होंने यमन के सर्वोच्च न्यायालय में भी इस मामले को लेकर एक अपील दायर की थी, जिसे बीती 13 नवंबर को खारिज कर दिया गया है।
क्या था पूरा मामला
निमिषा प्रिया पर तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया था. उन पर आरोप था कि जुलाई 2017 में उसके कब्जे से पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया जिससे उसकी मौत हो गई थी. आरोप लगाया गया कि जो इंजेक्शन दिया गया था उसकी ओवरडोज मौत की वजह बनी थी. चार्जशीट में आरोप लगाया कि प्रिया ने यमनी नागरिक और अपने सहयोगी हनान के साथ अब्दो महदी के शव को पानी की टंकी में फेंकने से पहले काट दिया. 2018 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि हनान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
अब्दो महदी पर भी था आरोप
निमिषा प्रिया को बचाने के लिए सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल सक्रिय है, जिसने पिछले साल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, इसमें केंद्र सरकार से राजनयिक हस्तक्षेप के साथ निमिषा प्रिया की ओर से पीड़ित परिवार के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था, ताकि ब्लड मनी का भुगतान करके उसकी जान बचाई जा सके. हालांकि कोर्ट ने ऐसा न करके यमन में सजा के खिलाफ कानूनी उपाय अपनाने के लिए कहा था. इसके बाद जो याचिका दाखिल की गई उसमें अब्दो महदी पर आरोप लगाया गया कि अब्दो महदी ने प्रिया से शादी को साबित करने के लिए जाली दस्तावेज बनवाए थे और इस आधार पर वह उसके साथ दुर्व्यवहार करता था और यातना भी देता था।
ब्लड मनी पर बातचीत करना चाहती हैं निमिषा की मां
दरअसल यमन का सर्वोच्च न्यायालय निमिषा की अपील को हाल ही में 13 नवंबर को खारिज कर चुका है, केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक अब यमन के राष्ट्रपति पर ही निमिषा की दया याचिका निर्भर है. ऐसे में निमिषा की मां बेटी की रिहाई के लिए पीड़ित परिवार से ब्लड मनी यानी मुआवजे पर बातचीत करना चाहती हैं. यमन के कानून के तहत यदि पीड़ित परिवार तैयार हो जाता है तो आरोपी को रिहाई मिल सकती है. इसीलिए निमिषा प्रिया की मां ने यमन जाने की अनुमति मांगी है, ताकि वह किसी तरह पीड़ित परिवार को समझा सकें।