Wednesday, December 6, 2023
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*पढ़िए Karva chauth पर आपके शहर में कब दिखेगा चांद, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा; बस एक Click में👉👉….*

भारत में कार्तिक का मास यानी महीना शुरू होने बाद ही कई बड़े पर्व शुरू हो जाते हैं उसी में से एक है करवा चौथ को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को इस त्योहार को मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का त्योहार एक नवंबर यानी आज मनाया जाएगा….

रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना 

आपको मालूम हो की इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के जीवन की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए कठोर उपवास रखती हैं। इसके बाद चंद्रमा उदय होने के बाद और अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं। बता दें की करवा चौथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान आदि राज्यों में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस बार ये व्रत कब किया जाएगा और करवा चौथ पर आपके शहर में चांद कब निकलेगा।

 

करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त

  • पूजा शुभ मुहूर्त- शाम 05:34 मिनट से 06: 40 मिनट तक
  • पूजा की अवधि- 1 घंटा 6 मिनट
  • अमृत काल- शाम 07:34 मिनट से 09: 13 मिनट तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन और रात

 

करवा चौथ पर कब निकलेगा आपके शहर में चांद 

🛑शहर                         🛑समय 

  • दिल्ली                       रात 08:15
  • मुंबई                         रात 08:59
  • कोलकाता                 रात 07:45
  • चंडीगढ़                     रात 08:10
  • पंजाब                       रात 08:14
  • राजस्थान                  रात 08:26
  • लुधियाना                  रात 08:12
  • देहरादून                   रात 08:06
  • शिमला                    रात 08:07
  • पटना                      रात 07:51
  • लखनऊ                  रात 08:05
  • कानपुर                   रात 08:08
  • प्रयागराज                रात 08:05
  • इंदौर                       रात 08:37
  • भोपाल                    रात 08:29
  • अहमदाबाद              रात 08:50
  • चेन्नई                       रात 08:43
  • बेंगलुरु                    रात 08:54
  • नोएडा                     रात 08:14
  • गुरुग्राम                    रात 08:15
  • गाजियाबाद              रात 08:14
  • चंडीगढ़                    रात 08:10
  • लुधियाना                  रात 08:12
  • शिमला                     रात 08:07
  • जम्मू                         रात 08:11
  • लखनऊ                     रात 08:05
  • बनारस                      रात 08:00
  • कानपुर                      रात 08:08
  • प्रयागराज                   रात 08:05
  • मेरठ                          रात 08:05
  • आगरा                       रात 08:00
  • पटना                         रात 08:08
  • देहरादून                     रात 08:05
  • हरिद्वार                       रात 08:07
  • हल्द्वानी                       रात 08:04
  • श्रीनगर                        रात 08:07
  • ऋषिकेश                     रात 08:06
  • गुवाहाटी                      रात 08: 22
  • बेंगलुरू                        रात 08:54

 

करवा चौथ पूजा विधि

  • करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • इसके बाद जीवन के सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ अखंड सौभाग्य का संकल्प लें।
  • करवा चौथ का व्रत और पूजा का संकल्प लेने के बाद पूजा स्थल पर भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणेश की स्थापना करें।
  • इसके बाद चौथ माता फोटो रखें और पूजा की जगह पर मिट्टी का करवा रखते हुए सभी देवी-देवताओं आह्वान करते हुए पूजा शुरू करें।
  • करवे में पानी भरकर उसमें सिक्का डालकर उसे लाल कपड़े से ढक दें।
  • पूजा की थाली में सभी श्रृंगार की सामग्रियों को एकत्रित करके एक साथ सभी महिलाएं करवा माता की आरती और कथा सुनें।
  • महिलाएं सोलह श्रृंगार कर शाम को भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कर्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का विधिपूर्वक पूजन करते हुए नैवेद्य अर्पित करें।
  • रात्रि के समय चंद्रमा का दर्शन करके चंद्रमा से जुड़े मंत्रों को पढ़ते हुए अर्घ्य दें।

 

करवा चौथ पूजा सामग्री

1.करवा

2. पूजा की थाली

3. छलनी

4. करवा माता का फोटो

5. सींक

6.जल

7. मिठाई

8.सुहाग की सभी चीजें

9.फूल- माला

10. दीपक

11.रोली

12.सिंदूर

13.मेहंदी

14. कलावा

15. चंदन

16. हल्दी

17. अगरबत्ती

18. नारियल

19. अक्षत

20. घी

 

 

करवा चौथ व्रत कथा 

करवा चौथ व्रत पूजन से एक पौराणिक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम वीरावती था। सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। जब वीरावती का विवाह हुआ तो ,उस समय अपनी ससुराल से मायके आई हुई थी। अपनी सभी भाभियों के साथ वीरावती ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। पूरे दिन निर्जल उपवास के कारण वीरावती अत्यधिक व्याकुल हो गई। भाईयों को अपनी बहन की व्याकुल देखी नहीं गई। जब सारे भाई जब खाना खाने बैठे तो अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने कहा कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है। वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भोजन या जल ग्रहण नहीं कर सकती।

 

अपनी बहन की ऐसी हालत देखर छोटे भाई ने दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख दिया जिससे ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो। उसने वीरवाती से कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।

 

जैसे ही वीरावती पहला कौर मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरे कौर में बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा कौर मुंह में डालने जाती है तब तक ससुराल से उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे आ जाता है। यह दुखद समाचार सुनकर वीरावती सुध-बुध खो देती है,और विलाप करने लगती है। जब वीरावती अपने पति की मृत्यु पर विलाप कर रही होती है कि तभी संयोग से इंद्राणी वहांआती हैं और उसे सारी सच्चाई से अवगत करवाती हैं। इसके बाद इंद्राणी कहती हैं कि तुमने बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए व्रत तोड़ लिया इसी कारण तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। जिसके बाद वीरावती अपने पति को जीवित करे का निश्चय करती हैं और इंद्राणी से इसका उपाय पूछती हैं। 

 

इंद्राणी कहती हैं कि तुम्हें पूरे बारह मास तक प्रत्येक चौथ का व्रत रखना होगा और अगले वर्ष करवा चौथ पर पुनः व्रत रखना होगा। इसके बाद वीरावती वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है। अगले वर्ष एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है। इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो वह उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।

 

सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। वीरवाती उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है। अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। वीरवाती का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम और करवा माता की कृपा से वीरावती को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।

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