आज आपको उस तानाशाह के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक हैवान से कम नहीं था, बल्कि दरिंदा भी कह सकते हैं आपको बता दें की इस तानाशाह को बलात्कार की लत थी और आवाज उठाने पर मौत की सजा देता था…
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
यह कहानी लिबियाई तानाशाह मुअम्मर-अल-गद्दाफी की है, जिसे दुनिया अभी भी भूल नहीं पाई है, जब वह लीबिया की सत्ता पर काबिज हुआ तो उसकी उम्र सिर्फ 27 वर्ष थी. उस समय वह जनता के प्रति सॉफ्ट और लीबिया में व्यापार कर रही विदेशी कंपनियों के प्रति सख्त था, लेकिन जैसे-जैसे उसकी सत्ता की उम्र बढ़ती गई, वैसे-वैसे उसके अलग-अलग चेहरे सामने आते गए. शासन के अंतिम वर्षों में उसका सबसे क्रूरतम चेहरा लोगों के सामने आया।
साल 1969 में सिर्फ 27 वर्ष की उम्र में सत्तापलट करने वाले गद्दाफी की 20 अक्टूबर 2011 को मौत हुई थी, जिसने लीबिया पर करीब 42 साल तक शासन किया. वह अरब देशों में सबसे लंबे समय तक राज करने वाला शासक था. उसकी मौत के साथ ही लीबिया ने नई सुबह देखी. उसका पूरा परिवार तानाशाह की वजह से ही तबाह हो गया. उसके तीन बेटे नाटो हमले में मारे गए थे क्योंकि उन्होंने भी पिता की राह पकड़ ली थी. बावजूद इसके गद्दाफी की क्रूरता के किस्से पूरी दुनिया ने सुने और महसूस किए।
पश्चिमी देशों से करता था नफरत
वह कई आतंकी संगठनों को फंडिंग करता था और पश्चिमी देशों से नफरत करता था. उसने सरेआम स्टेडियम में मजाक-मजाक में विरोधी को फांसी दिलवा दी. एक समय ऐसा भी आया कि देश में उसके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं था, क्योंकि जो भी उसके खिलाफ बोलता था. वह मारा जाता था. उसकी घिनौनी जिंदगी पर फिल्म बनी ‘द डिक्टेटर’ और किताब लिखी गई, जो उसे एक क्रूरतम शासक के रूप में स्थापित करती हैं।
गमाल अब्देल नासिर से था प्रेरित
गद्दाफी ने जब सत्ता पर कब्जा किया तो यहां के शासक इदरीस इलाज के लिए तुर्की में थे. मिस्र में पढ़ाई करने वाला गद्दाफी गमाल अब्देल नासिर से प्रेरित था. पढ़ाई पूरी करने के बाद सेना में भर्ती हुआ और सत्ता पलट के सपने देखना शुरू किया और 31 अगस्त 1969 को उस पर अमल कर दिया. एक सितंबर को लीबिया में सत्ता पलट चुकी थी. पूर्व शासक निर्वासित जीवन जीते रहे और विदेशी धरती पर ही अंतिम सांस ली.
लागू की मुफ्त बिजली-पानी की व्यवस्था
शुरुआती दिनों में गद्दाफी ने खुद को जनहित में कदम उठाने वाले शासक के रूप में प्रदर्शित किया. विदेशी कंपनियों से भारी रकम वसूलकर लोगों की तरक्की में लगाने लगा. वह अकेला शासक था, जिसने मुफ्त बिजली की व्यवस्था को लागू किया था. सड़क, स्कूल, अस्पताल भी बड़ी संख्या में बनवाए. इस्लामी कैलेंडर लागू किया. शराब पर प्रतिबंध लगा दिया. अमेरिकन और ब्रिटिश ठिकाने बंद करने का हुकूम सुना दिया, इसलिए देखते ही देखते लोकप्रिय हो गया।
तहखाने में रखता था लड़कियां
उसे स्कूल के फंक्शन में जाने का बहुत शौक था. बहुत व्यस्तता में भी स्कूली जलसों में जाना उसका शगल बन गया था. ऐसा क्यों था, इसका खुलासा बाद में हुआ. असल में उसे कम उम्र उम की लड़कियों के शरीर से खेलना पसंद था. वह जिस लड़की के सिर पर हाथ रख देता, वह स्कूल से गायब हो जाती. कई बार परिवार को भी पता नहीं चलता कि उनकी बेटी कहा गई. वह सेक्स का भूखा था. महल के तहखाने में उसके लिए देश भर से लड़कियां लाकर रखी जातीं. काम करते हुए बीच में भी उसके इशारे पर तहखाने से बेहद कम कपड़ों में लड़की लाई जाती।
लड़कियों के साथ करता था रेप
उनके साथ वह बलात्कार करता. इच्छा के विपरीत व्यवहार पर शारीरिक प्रताड़ना भी मिलती. इसका खुलासा पत्रकार एनिक कोजिन ने किया है. इस फ्रांसीसी महिला पत्रकार ने कई खुलासे किए. तहखाने को हरम कहा जाता था. यहां किसी भी पुरुष के आने पर पाबंदी थी. केवल वही लड़कियां होती, जिन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों से लाया जाता. उन्हें गंदी फिल्में दिखाई जाती. भूख से तड़पाया जाता. फिर भी नहीं मानतीं तो उन्हें भी नहीं पता चलता कि आखिर उनका जीवन कैसे खत्म हो गया क्योंकि अचानक गोली मार दी जाती।
छात्रों को सरेआम मरवा दी थी गोली
वह अपनी सुरक्षा में भी खूबसूरत महिलाओं को रखता था. उसकी एक महिला सुरक्षा गार्ड्स का किस्सा मीडिया की सुर्खियों में रहा. एक बार किसी बात से गद्दाफी कुछ स्कूली छात्रों से नाराज हुआ. हुकुम हुआ कि इन सभी 17 छात्रों को फांसी दे दी जाए. सुरक्षा दस्ते, जैसा कि सबको पता है कि महिलाएं ही थीं, को निर्देश मिला कि कोई चीखेगा नहीं. जब इन्हें फांसी दी जाएगी तो वहां मौजूद हर इंसान को हंसना होगा. किसी भी महिला के लिए यह थोड़ा मुश्किल काम है लेकिन शासक का हुकुम कौन टाले, सबने मन बना लिया. तभी वहां गोलियों की तड़तड़ाहट शुरू हो गई. सभी स्टूडेंट्स की फांसी की जगह गोली मारकर हत्या कर दी गई।
हवा में ही मरवा दिए 243 लोग
वह सेक्स का इतना भूखा था कि विदेशी दौरों पर भी उसे नई लड़की चाहिए होती थी. उसके लिए पहले से उसके हरम की विश्वासपात्र महिला माबरूका शेरिफ उस देश पहुंच जाती थी. उसके रुकने का इंतजाम बेहद महंगे होटल में होता. लड़की न मिलने पर नई उम्र के पुरुषों को भी उसके सामने परोस दिया जाता था. उसके शिकार मंत्री, अधिकारी, उनकी पत्नियां-बेटियां तक हुई. उसकी हरकतों से खफा अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने गद्दाफी को सार्वजनिक तौर पर पागल कुत्ता तक कह दिया था. उनकी यह प्रतिक्रिया 21 दिसंबर 1988 को फ्रैंकफ़र्ट से डेट्रायट जा रहे विमान के हवा में ही उड़ा देने की घटना के बाद आया, आरोप था कि गद्दाफी के निर्देश पर लीबिया ने यह दुस्साहस किया था. इसमें 243 यात्री हवा में ही मारे गए.
लीबिया में त्रिपोली की जेल से कुछ कैदियों ने भागने का प्रयास किया, पर असफल रहे. साल 1996 का वाकया है. सुरक्षा गार्ड्स और कैदियों में संघर्ष हुआ. सात मारे गए और बड़ी संख्या में कैदी घायल हो गए. घायलों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन कोई लौटकर नहीं आया फिर जेल के अंदर बचे कुछ कैदियों को दूसरी बैरक में शिफ्ट किया गया फिर दो घंटे तक गोलीबारी हुई. एक हजार से ज्यादा कैदी मारे गए, उन्हें अंदर ही दफन कर दिया गया, परिवार वालों तक को नहीं पता चला कि आखिर वे कब लौटेंगे। ये सभी घटनाएं उसकी मौत के बाद धीरे-धीरे सामने आईं और समय के साथ मीडिया की सुर्खियां बनती रहीं।