आज के समय में इंसान इतना ज्यादा क्रूर और हैवान, हवस से भर गया है की वह बेजुबान जानवरों को भी नहीं छोड़ता, जिसके कई उदाहरण लगातार सामने आ रहे हैं जहां जानवरों के साथ दुष्कर्म के मामले आपने देखें होंगे… लेकिन क्या आपको पता है जानवरों के साथ इस तरह के मामले में क्या क्या सजा के प्रावधान है??
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
भारत में, जानवरों के साथ रेप को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध माना जाता है. इसे पशु क्रूरता भी माना जाता है. ऐसे में, पुलिस अपने विवेक के आधार पर आरोपी पर प्रिवेन्शन ऑफ क्रूअल्टी टू एनिमल एक्ट 1960 के तहत कार्रवाई भी कर सकती है।
इसके अलावा, जानवरों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार करने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. जिसे 10 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है. प्रथम दोषसिद्धि पर 50 रुपये के जुर्माने से दंडनीय है।
इतनी मिलती है सजा
देश में पशुओं के साथ रेप को लेकर कोई अलग कानून नहीं है, लेकिन इसे भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 377 के तहत अपराध माना जाता है. इस अपराध में दोष सिद्ध होने पर आरोपी को कम से कम 10 साल या फिर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है, इसके अजावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
पशुओं के साथ रेप को पशु क्रूरता भी माना जाता है, ऐसे में पुलिस अपने विवेक के आधार पर आरोपी पर प्रिवेन्शन ऑफ क्रूअल्टी टू एनिमल एक्ट 1960 के तहत कार्रवाई भी कर सकती है. इसके तहत किसी जानवर के साथ क्रूरता करने पर तीन साल तक की जेल और 25 हजार रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
विदेशों में भी है सजा का प्रावधान
संयुक्त राज अमेरिका में जानवरों के साथ रेप के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून और सजा का प्रावधान है. गंभीरता के आधार पर कई राज्य इसे जघन्य मानते हैं. यूनाइटेड किंगडम में इस तरह की हरकत को यौन अपराध अधिनियम 2003 के हिसाब से निषिद्ध माना जाता है. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा जर्मनी में पशु कल्याण अधिनियम की धारा 3 के तहत इसे अपराध माना जाता है. स्वीडन में ऐसी हरकत करने वाले को स्वीडिश पशु कल्याण अधिनियम के तहत आरोपी बनाया जाता है. दोष सिद्ध होने पर सजा या जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।
जानवरों से जुड़े कुछ और कानून:
भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत किसी जानवर को मारना, जहर देना, अपंग करना या प्रताड़ित करना एक संज्ञेय अपराध है.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के अनुसार जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, अंड़ों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट कर देना अपराध माना जाता है.
The Prevention of Cruelty to Animals Act 1960 की धारा 34 में यह प्रावधान है कि आरक्षी के पद से उच्च पद का कोई पुलिस अधिकारी यह पाता है कि उपरोक्त अपराध किया जा रहा है तो वह पुलिस अधिकारी ऐसे जानवर को जब्त कर सकता है.