भारत ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है बता दें की आज यानी शनिवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग पैड से भारत ने आदित्य एल-1 मिशन की सफल लॉन्चिंग की। इस मिशन का मकसद सूरज के चक्कर लगाना है और सूरज-पृथ्वी के बीच मौजूद एल-1 पॉइंट पर स्थापित होना है। ये भारत का पहला पूर्ण सौर मिशन है और इसी के साथ हिन्दुस्तान सूरज का अध्ययन करने वाले देशों की कैटेगरी में भी पहुंच गया है।
बता दें kk आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद कई चरणों में इसे पृथ्वी की कक्षा से बाहर किया जाएगा और सूरज की ओर भेजा जाएगा। श्रीहरिकोटा के सेंटर में इसरो चीफ एस. सोमनाथ, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह समेत इसरो के तमाम बड़े वैज्ञानिक मौजूद रहे थे।
👉क्या है आदित्य एल-1 मिशन?
ISRO ने हाल ही में चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था, इस मिशन की सफलता के बाद भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना. इस सफलता के तुरंत बाद भारत आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च कर रहा है और सूर्य के अध्ययन की ओर अपना बड़ा कदम ले रहा है. इस मिशन का मकसद सूर्य के एल-1 पॉइंट पर जाकर सूर्य की परिक्रमा करना है, सूरज और पृथ्वी के बीच आने वाला एल-1 एक ऐसा पॉइंट है जहां से 24 घंटे सातों दिन सूरज पर नज़र रखी जा सकती है.
👉आदित्य एल-1 का बजट, समय और लाइफटाइम
इसरो की दुनिया में ये पहचान है कि वह तमाम मुश्किलों के बाद भी एक कम बजट में किसी भी मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर सकता है. आदित्य एल-1 का पूर्ण बजट क्या है यह सामने नहीं आया था, हालांकि सरकार द्वारा इसके लिए करीब 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे इसके अलावा इसकी लॉन्चिंग और सूर्य की कक्षा में काम करने तक का बजट भी इसके अतिरिक्त ही है।
आदित्य एल-1 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो रहा है, इसको सूर्य के एल-1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए करीब 4 महीने का वक्त लगेगा. क्योंकि पृथ्वी और सूर्य की दूरी काफी ज्यादा है, ऐसे में यहां समय भी अधिक ही लगेगा. पृथ्वी और एल-1 पॉइंट के बीच की दूरी 1.5 मिलियन किमी. है. एक बार जब आदित्य एल-1 स्थापित हो जाएगा तब ये करीब 5 साल तक एक्टिव रहेगा और इसरो को तमाम जानकारी देता रहेगा।
आदित्य एल-1 एक सैटेलाइट है जो सूरज की परिक्रमा करेगी. इसरो द्वारा इस सैटेलाइट में सात पेलोड भेजे जा रहे हैं, इनमें से 4 सूरज का अध्ययन करेंगे और बाकी एल-1 पॉइंट को समझेंगे. इन सभी पेलोड से कोरोनल तापमान, मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर, अंतरिक्ष का मौसम, सूरज के आसपास के कण और उसके बारे में जानकारी मिलेगी. तमाम पेलोड तस्वीर खींचने से लेकर तापमान मापने और अन्य रिसर्च करने के काम आएंगे. भारत से पहले अमेरिका, जापान, यूरोप, चीन भी अपने सौर मिशन लॉन्च कर चुके हैं।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना