रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
हमारा भारत देश जो की 190 साल तक ब्रिटिश हुकूमत का गुलाम रहा। हमारे इस भारत देश को जिस सोने की चिड़िया कहा जाता था उसे आजादी ऐसे ही नहीं मिली लाखों लोगों ने या फिर कहें अमर शहीदों ने अपना बलिदान दिया अपने जीवन को अपने परिवार को त्यागने के बाद एक लंबे अरसे के बाद सन 1947 में आज ही के दिन यानी 15 अगस्त को भारत को आजादी मिली जिसमें कई ऐसे गुमनाम बहादुर लोग भी शामिल है जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं उन्हीं में से एक है आजाद हिंद फौज की महिला सिपाही नीरा आर्य जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या कर दी थी और अंग्रेजों द्वारा इनको बहुत ही ज्यादा त्रास भी दिया गया था। भारत को अगर सही मायनो में किसी ने आजादी दिलवाई है। तो वह कई गुमनाम वीर ही है। जिसके बारे में आप शायद नहीं जानते हो। आपको बता दें की भारत को आजादी मिलने में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, और भगत सिंह जैसे नाम इसके नायक बनकर उभरे। वहीं कुछ नाम गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो से गए। स्वतंत्रता में उनके योगदान की कहानियां तो दूर, कई लोग उनका नाम तक नहीं जानते हैं। नीरा आर्य एक ऐसा ही नाम हैं। खेकड़ा की इस क्रांतिकारी बेटी ने भारत की आजादी के लिये अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। यहां तक कि नेताजी सुभाष चंद बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या तक कर दी थी। जेल में अंग्रेजों ने उनके स्तन काट दिए थे, फिर भी उन्होंने गद्दारी नहीं की थी।
आपको बता दें की वीर महिला का जन्म यानी नीरा का जन्म 5 मार्च, 1902 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा में हुआ था। वो अपने इलाके के प्रतिष्ठित व्यवसायी सेठ छजूमल की बेटी थीं। जब नीरा आर्य का जन्म हुआ, उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। कहते हैं, छोटी उम्र से ही नीरा ने अपने देश के लिए आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया, और देश के प्रति अपने समर्पण को प्रदर्शित किया।
बहुत ही कम उम्र में नीरा के पिता ने उनकी शादी ‘श्रीकांत जयरंजन दास’ से कर दी थी। आमतौर पर विवाहित होने के बावजूद लोगों की सोच बदल जाती है, लेकिन नीरा ने अपने रास्ते को नहीं छोड़ा। जहां नीरा अंग्रेजों से अपने देश की आजादी चाहती थीं, वहीं उनके पति ब्रिटिश सरकार के लिए काम कर रहे थे। क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान नीरा ‘आजाद हिंद फौज’ के संपर्क में आईं और ‘झांसी रेजिमेंट’ का हिस्सा बन गईं।
आगे अंग्रेजों ने नीरा के पति जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और मौका मिलते ही उनकी हत्या करने की जिम्मेदारी थी। इसके लिए जयरंजन ने कई प्रयास भी किए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अपने पति के मिशन के बारे में जब मीरा को जानकारी हुई तो वो उनके खिलाफ हो गईं। एक दिन जब उनके पति ने सुभाष चंद्र बोस की हत्या करने का प्रयास किया, तो उन्होंने अपने पति को छुरा घोंप कर मार डाला, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचा लिया। इसके लिए उन्हें अंग्रेजों ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
बता दें की कारावास के दौरान नीरा को यातनाएं सहनी पड़ीं। उन्हें अंडमान भेज दिया गया, जहां उन्हें छोटी सी कोठरी में रखा गया था। अंग्रेजों ने नीरा को लोहे की सख्त जंजीरों में बांध रखा था। उनके साथ लगातार बदसलूकी की गई। यहां तक की उन्हें ब्रेस्ट तक काट दिए थे। अंग्रेज नीरा से लगातार पूछते रहे कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहां हैं।
वहीं कई इतिहासकारों ने मुताबिक अगर नीरा सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी दे देतीं तो उन्हें जमानत मिल जाती, लेकिन नीरा ने अपना मुंह नहीं खोला भारत की स्वतंत्रता के बाद, नीरा जेल से बाहर निकली और हैदराबाद में फूल बेचकर अपना बाकी का जीवन बिताया। 1998 में उनका निधन हो गया था। ऐसे ही वीर योद्धा और वीर महिलाओं के कारण ही हमे आजादी मिल पाई।