एक तरफ देश टेक्नोलॉजी में लगातार आगे बड़ रहा तो वहीं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक ऐसा भी सरकारी दफ्तर है जिसमें आज तक ना तो बिजली पहुंची है और ना ही यहां आने जाने के लिए सड़क ही है, मजबूरी में यहां तैनात कर्मचारी टॉर्च और इमरजेंसी लाइट की रोशनी में अपना काम निपटाते हैं। मजे की बात तो यह है कि बिजली विभाग के अधिकारियों को इसकी खबर तक नहीं, उनका कहना है कि सिंचाई विभाग से डिमांड आने पर बिजली आपूर्ति की जा सकती है।
आपको बता दें की उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में सिंचाई विभाग का यह दफ्तर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूर कांठ तहसील में है, जिलेदारी कार्यालय के नाम से इस दफ्तर की शुरुआत 164 साल पहले अंग्रेजों के जमाने में हुई थी। 1859 में यह कार्यालय खेतों के बीच बनाया गया था, तब से लेकर आज तक यह खेतों के बीच ही है, इस कार्यालय में आने जाने के लिए खेतों की मेंड़ से होकर जाना होता है, बरसात के दिनों में तो यहां चप्पल तक हाथ में लेकर जाना पड़ता है।
वहीं आज तक बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाने की वजह से हाल तक यहां तैनात कर्मचारी किरोसीन ऑयल या ट्रॉर्च की रोशनी में काम करते रहे हैं.हालांकि इसी साल जून महीने में इन कर्मचारियों ने विभागीय पहल पर एक छोटा सा सोलर पैनल लगवाया है. लेकिन इससे भी केवल एक पंखा चल सकता है और जरूरत होने पर एक वल्ब जलाया जाता है. फिलहाल इस कार्यालय में कुल 17 कर्मचारी तैनात हैं।
यहां तैनात कर्मचारियों के मुताबिक चूंकि यह कार्यालय रोड से बिल्कुल हट कर है और यहां चार पहिया वाहन नहीं आ सकते, इसलिए अधिकारी भी यहां कम ही आते हैं. उधर, बिजली निगम के ग्रामीण एक्सईएन राजेश तोमर ने बताया कि उनहें इसकी कोई जानकारी नहीं है. यदि सिंचाई विभाग से इस कार्यालय में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन आता है तो निश्चित रूप से यहां बिजली आपूर्ति की जाएगी।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना