जर्मनी में 98 साल के एक बुजुर्ग को सजा दी जाएगी. दरअसल, उसे 3300 लोगों की हत्या के लिए दोषी पाया गया है. यह घटना नाजी कैंप से जुड़ी है. अधिकारियों ने संदिग्ध का नाम उजागर नहीं किया है. कहा जा रहा है कि आरोपी ने उस कैंप में एक गार्ड के रूप में काम किया था, उस दौरान उसने हजारों कैदियों की क्रूर हत्या के लिए नाजी जर्मन और उनके सहयोगियों की मदद की थी. 8 दशक पहले हुए इस अपराध की सजा अब मिलने जा रही है.
आरोपी ने 1943 और 1945 के बीच नाजियों के साक्सेनहाउज़ेन कैंप में एक गार्ड के रूप में काम किया. इसी दौरान 3,300 से अधिक यहूदियों की हत्या कर दी गई थी. वकीलों ने बताया कि आरोपी ने इस हत्या में एक सहायक के रूप में काम किया। वहीं हाल के वर्षों में वकीलों ने ऐसे कई केस निकाले हैं, जिन्होंने यहूदियों के कत्लेआम में सहायता की.
यह मामला हनाउ में स्थित स्टेट कोर्ट में दायर है। हालांकि, अब यह तय करना बाकी है कि मामले को सुनवाई के लिए भेजा जाए या नहीं. यदि ऐसा होता है, तो आरोपी की उम्र को ध्यान में रखते हुए, उस पर किशोर कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। क्योंकि पिछले अक्टूबर में एक साइकियाट्रिक विशेषज्ञ की रिपोर्ट में पाया गया कि संदिग्ध बहुत कम फिट है, इसलिए स्ट्रिक्ट एक्शन नहीं लिया जा सकता.
क्या है नाज़ी कैंप का इतिहास?
1936 और 1945 के बीच, बर्लिन में नाजी साक्सेनहाउज़ेन कैंप में 200,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था। हजारों लोग भुखमरी, बीमारी, जबरन श्रम, गोलीबारी, फांसी और जहरीली गैस बनाना के कारण मारे गए। मारे गए लोगों की सटीक संख्या अलग-अलग है. अनुमान लगभग 100,000 है, हालांकि विद्वानों का सुझाव है कि 40,000 से 50,000 के आंकड़े अधिक सटीक होने की संभावना है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना