Uttarakhand: पिछले दो महीने से हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारी ने कुछ ऐसा कर दिया की बीते रात प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। बता दें की प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों से निकाले गए कोरोनाकाल के आउटसोर्स कर्मियों के समायोजन की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे एक पूर्व कर्मी ने सोमवार रात खुद को शौचालय में बंद कर लिया। छह दिन में यह दूसरी बार है, जब किसी पूर्व कर्मी ने खुद को शौचालय में बंद किया। इस घटना से एकता विहार स्थित धरनास्थल पर अफरातफरी मच गई। वहीं, पुलिस-प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए।
👉पुलिस ने दरवाजा तोड़ पूर्व कर्मी को निकाला बाहर
पूर्व कर्मी ने करीब डेढ़ घंटे खुद को बंद रखा। बाद में बेहोश हो जाने पर पुलिस ने दरवाजा तोड़कर उसे बाहर निकाला। दरअसल, समायोजन की मांग कर रहे आउटसोर्स कर्मियों को एकता विहार स्थित धरनास्थल पर प्रदर्शन करते करीब दो माह का वक्त हो चुका है। वहीं, पिछले 31 दिन से कर्मचारी एक-एक, दो-दो कर भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं।
पिछले पांच दिन से अनशन पर बैठे उत्तरकाशी के प्रभात नौटियाल का सोमवार को स्वास्थ्य बिगड़ गया। मेडिकल जांच में कीटोन पाजिटिव आने पर उसे अस्पताल मे भर्ती कराने की सलाह दी गई।
👉रिपोर्ट में कीटोन पाजिटिव के बावजूद प्रशासन ने बरती लापरवाही
कर्मचारियों ने आरोप लगाया की सुबह मेडिकल जांच में कीटोन पाजिटिव आने के बावजूद प्रशासन ने लापरवाही बरती। रात करीब 9:30 बजे प्रभात को आपातकालीन सेवा के माध्यम से जिला अस्पताल ले जाया गया। इस बीच भूख हड़ताल पर बैठे एक अन्य कर्मचारी अभिषेक ठाकुर ने खुद को शौचालय में बंद कर लिया।
👉कोरोनाकाल में जान जोखिम में डाल की थी मरीजों की सेवा
उसका कहना था कि कोरोनाकाल में अपनी जान जोखिम में डाल मरीजों की सेवा करने वाले कर्मी आज बेरोजगार हैं। वह दो माह से धरने पर बैठे हैं, पर स्वास्थ्य मंत्री बस आश्वासन दे रहे हैं। उनकी मांग पर अभी तक कोई सकारात्मक कारवाई नहीं हुई है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना