Sunday, May 28, 2023
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हल्द्वानी: 4 हजार से ज्यादा घरों का कल सुप्रीम कोर्ट करेगी फैसला, हल्द्वानी रेलवे अतिक्रमण मामले में कूदी राजनीतिक पार्टियां…

उत्तराखंड: राज्य के हल्द्वानी शहर के रेलवे अतिक्रमण का मामला लगातार तूल पकड़ चुका है कहीं राजनीतिक पार्टियां भी इस मामले में कूद चुकी है। हालही में यह मामला पूरे सोशल मीडिया में ट्रेंडिंग में चल रहा है हर किसी की नजर इसी पे अटकी है की आखिर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होगा। क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 4 हजार से भी ज्यादा लोग क्या बेघर हो जाएंगे या फिर उन्हे घर से बेघर नही होना पड़ेगा आपको बता दें की रेलवे अतिक्रमण का मामला काफी लंबे समय से चल रहा है बता दें की नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे से अतिक्रमण को हटाने का फैसला दिया है जिसके अनुसार 8 जनवरी को 4 हजार से भी ज्यादा घरों पर बोल्डोजर चलेगा।

 

लेकिन आपको बता दें की नैनीताल हाईकोर्ट के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया जिसका फैसला कल यानी 5 जनवरी को होना है। बता दें की हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने की उत्तराखंड हाईकोर्ट की याचिका को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस ए नजीर और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद मामले को सुनवाई के लिए स्‍वीकृति दी है। आपको बता दें की हल्द्वानी के बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4365 अवैध कच्चे-पक्के भवनों को हटाने के लिए रेलवे, पुलिस व प्रशासन ने पूरी तैयारी भी कर ली है। बता दें आरपीएफ व पीएसी की पांच-पांच कंपनियां तैनात हो गई हैं और चार दिन बाद पैरामिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी पहुंच जाएगी। इसके साथ ही आपको बता दें की रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने की यह कवायद 2007 में हो गई थी लेकिन तब रेलवे अपनी भूमि खाली नहीं करा सका था। अब नैनीताल हाई कोर्ट के सख्त आदेश के चलते 16 साल बाद बदले हालात में अतिक्रमण के बढ़ चुके दायरे को आठ जनवरी के बाद ध्वस्त करने की तैयारी हो चुकी है।

 

आपको बता दें की हल्द्वानी रेलवे अतिक्रमण के मामले में कई राजनीतिक पार्टियां भी कूद चुकी है बता दें की जैसे ही यह मामला जिस प्रकार से सोशल मीडिया ट्रेंडिंग में चल रहा है तो वहीं आपको बता दें की अलग अलग पार्टी के नेताओ के इस मामले में बयान भी सामने आ रहे है आपको बता दें की बसपा सुप्रीमो मायावती ने मामले पर इंटरनेटमीडिया पर बयान जारी किया है। उन्‍होंने कहा है कि ‘उत्तराखंड के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति-दुखद। सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना। सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाए।’ इसके साथ ही बता दें की हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिंदुस्तान की बुनियाद सेक्युअलरिसम पर है. उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में जिन लोगों को घर से निकाल रहे हैं, उनमें मुस्लिम की संख्या अधिक है. सरकार उन्हें बेघर करना चाहते हैं. मुफ्ती ने कहा कि हिंदुस्तान की बुनियाद सेक्युअलरिसम पर है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि क्या यह देश नफरत से चलेगा। फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की बात को दोहराते हुए कहा कि हल्द्वानी में मुस्लिमों को घरों से बेघर किया जा रहा है. उनके घरों को तबाह किया जा रहा है. इसका जिम्मेदार कौन है? बताओ क्या यह देश नफरत से चलेगा. इस पर कोई बात नहीं कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि जब तक हम सभी यह नहीं सोचेंगे कि भारतीय किसी भी धर्म, भाषा या संस्कृति से हम सभी का है, तब तक देश विकसित नहीं होगा. हम डर के साये में ही रहेंगे. इस डर को दूर करने के लिए हम सभी को काम करना होगा. अब्दुल्ला ने कहा कि विपक्ष हो या सत्ता में बैठे लोग सभी को एक ही रस्सी पकड़नी है।

 

वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इंसानियत की बुनियाद पर उत्तराखंड, हल्द्वानी के लोगों की मदद करनी चाहिए और उन्हें वहां से नहीं निकालना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हल्द्वानी के लोगों के सर से छत छिन लेना कौन सी इंसानियत है? प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री से देहरादून की भांति हल्द्वानी की मलिन बस्तियों को भी अध्यादेश के माध्यम से बचाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका की सुनवाई तिथि पांच जून निर्धारित की गई है सरकार की मजबूत पैरवी से इन बस्तियों को उजडऩे से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही बता दें की उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत भी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को सोशल मीडिया पर खुला पत्र लिखा। कहा, कानूनी पक्ष अपनी जगह सही है, लेकिन मानवीय पक्ष देखते हुए कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए। कहा कि वर्षों से बसे हुए लोगों को हटाने का रेलवे, प्रशासन, पालिका का निर्णय केवल कानूनी पक्ष नहीं है, यह मानवीय पक्ष भी है। हल्द्वानी कुमाऊं और प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है। यहां का सामाजिक सौहार्द हमेशा उच्च स्तर का रहा है।यदि 50 हजार से ज्यादा लोगों को हटाया जाएगा, तो यह लोग कहां जाएंगे। एक अशांति का वातावरण पूरे हल्द्वानी में और कुमाऊं के अंचल में फैलेगा। सीएम को संबोधित करते हुुए कहा कि कड़कड़ाती ठंड में आपने केवल कानूनी पक्ष देखकर या कानून के गलत इंटरप्रिटेशन के आधार पर 50 हजार लोगों से उनकी छत छीनने जा रहे हैं।

 

 

एक जनवरी को रेलवे की ओर सार्वजनिक नोटिस प्रकाशन और दो जनवरी को मुनादी कराते हुए एक सप्ताह में सभी अतिक्रमणकारियों को कब्जा हटा लेने की चेतावनी दे दी है।इधर, अन्यत्र बसाए जाने की मांग व अतिक्रमण हटाने के विरोध में स्थानीय लोग लगातार धरना, प्रदर्शन और कैंडल मार्च भी निकाल रहे हैं। कांग्रेस, सपा एवं एआइएमआइएम समेत कई संगठन सभाएं कर रहे हैं। स्थानीय महिलाएं व बच्चों के माध्यम से मुद्दे उठाते हुए सड़कों पर दुआ व नमाज अता की जा रही है।

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