Tuesday, December 5, 2023
Home India Update *Gopa Ashtami" पढ़िए क्यों दिवाली के 7 दिन बाद मनाई जाती है...

*Gopa Ashtami” पढ़िए क्यों दिवाली के 7 दिन बाद मनाई जाती है गोपाष्टमी, जानें पौराणिक कथाएं👉….*

भारत विश्व का ऐसा देश है जहां हर महीने सनातन धर्म में कोई ना कोई पर्व, पूजा और व्रत रखे जाते हैं, पशुओं की पूजा की जाती है, अगर बात गाय की करे तो हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है और गोपा अष्टमी के दिन गाय माता की पूजा भी की जाती है…

 

रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना 

Gopa Ashtami 2023″ आपको बता दें की गोपाअष्टमी का त्योहार दिवाली के समय होने वाली गोवर्धन पूजा के सात दिन बाद मनाया जाता है अर्थात् इस वर्ष 4 नवंबर को गोपाअष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन नंद बाबा ने श्रीकृष्ण और गाय के लिए एक समारोह का आयोजन किया था। भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम बाल्यावस्था में इस दिन पहली बार गाय को चराने ले गए थे।

हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। गोपाअष्टमी का त्योहार हम इसलिए मनाते हैं क्योंकि हम लोग अपने पालन के लिए गाय पर निर्भर हैं इसीलिए गाय हिंदू धर्म में पूज्यनीय है। गाय का दूध,गाय के दूध से निर्मित घी,दही व छाछ मनुष्य के लिए लाभदायक है। गाय का मूत्र भी मनुष्य के लिए फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग कई बीमारियों के निवारण के लिए किया जाता है।

पौराणिक कथाएं

1. भगवान श्रीकृष्ण छ: वर्ष की आयु में माता यशोदा से जिद करने लगे कि वह अब बड़े हो गए हैं और बछड़े की जगह गाय को चराने ले जाएंगे। उनकी जिद को देखकर माता यशोदा ने उन्हें पिता नंद बाबा से इसकी अनुमति लेने भेज दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने नंद बाबा से भी यही जिद की कि वह अब गाय चराएंगे। नंद बाबा गाय चराने के शुभ मुहूर्त के लिए शांडिल्य ऋषि के आश्रम पहुंचे। शांडिल्य ऋषि ने बड़े अचरज से कहा कि अभी इस समय के अलावा अगले साल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। वह दिन गोपा अष्टमी का दिन था। उस दिन माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को अच्छे से तैयार किया मोर मुकुट लगाया, पैरों में घुंघरु पहनाए व चरण पादुकाएं दी। लेकिन उन्होंने पादुकाएं पहनने से इंकार कर दिया,वे बोले कि वह पादुकाएं तभी पहनेंगे जब आप गाय को भी पादुकाएं पहनाएंगी। उस दिन भगवान श्रीकृष्ण बिना पादुकाओं के ही गाय चराने गए। गाय चराने की वजह से ही श्रीकृष्ण का नाम गोविंद व गोपाल पड़ा।

2. बरसाने में देवराज इंद्र के प्रकोप के कारण लगातार बारिश हो रही थी, बरसाना वासियों को बारिश से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। उस दिन से गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाने लगा था। गोपा अष्टमी के दिन देवराज इंद्र ने अपनी हार स्वीकार की थी। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली से उतार कर नीचे रखा था।

3. गोपाअष्टमी से जुड़ी एक और बात है कि एक बार राधा गाय चराने के लिए वन जाना चाहती थीं, लेकिन लड़की होने के कारण उनसे कोई गाय चराने को नहीं कहता था। लेकिन राधा गाय चराने के लिए ग्वाला का वेश धारण कर श्रीकृष्ण के साथ गाय चराने वन चली गई।

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