ये खबर पढ़कर या सुनकर आपको भी यकीन नही होगा की महाराष्ट्र जैसे इतने बड़े राज्य के किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है बता दें की राज्य के मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहें हैं। अब एक चौंकाने वाला आंकड़ा आया है कि हर दिन औसतन तीन किसान अपनी जान दे रहे हैं पिछले पांच महीनों में मराठवाड़ा में 391 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
आपको जानकारी के लिए बता दें की राज्य के मराठवाड़ा में पिछले कुछ दिनों से किसानों की आत्महत्या के मामले में इजाफा हुआ है। किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले बीड जिले से आए हैं बीड में 98 किसानों ने इस महीने अपनी जान ले ली। इसके बाद धाराशिव जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां पर 80 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। हिंगोली में सबसे कम 13 किसानों ने अपनी जान दी है.
बता दें की राज्य के छत्रपति संभाजीनगर- 50, जालना- 25, परभणी- 32 , हिंगोली- 13, नांदेड़- 65 ,बीड- 98, लातूर- 28, धाराशिव- 80 आत्महत्या के मामले सामने आ रहें हैं।
बता दें की मराठवाड़ा क्षेत्र का रिकॉर्ड किसानों के लिहाज से बीते कई सालों से खराब रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार की, मराठवाड़ा में साल 2022 में 1023 किसानों ने अपनी जान ले ली थी। इसी साल जनवरी में औरंगाबाद के डिवीजनल कमिश्रनर कार्यालय ने ये जानकारी दी थी। डिवीजनल कमिश्नर ने बताया था कि 2001 से 2022 के दौरान क्षेत्र में 14431 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। इनमें 7605 किसानों का सरकारी सहायता मिली थी।
साल 2011 से साल 2020 के बीच किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले 2015 में आए थे, जब 1133 किसानों ने आत्महत्या की थी 2006 में 379 किसानों ने आत्महत्या की थी, जो 2001 से 2010 के दौरान सबसे ज्यादा संख्या थी।
वहीं किसानों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्टों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इस इलाके में सूखे की स्थिति रही है, जिसने किसानों की समस्या बढ़ा दी है। साथ ही क्षेत्र में सिंचाई नेटवर्क के पूरी क्षमता से इस्तेमाल न होने की बात भी कही है।
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना