भारत का पड़ोसी और दुश्मन देश चीन लगातार भारत के खिलाफ साजिश करता रहता है, तो कभी अलग अलग तरह के तरीके अपनाता है जिससे वह भारत के अधिकांश जगहों पर कब्जा कर सके और भारत से और फिर ज्यादा शक्तिशाली बन सके….
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
आपको बता दें की अब नेपाल के गोरखाओं पर इन दिनों चीन की नापाक नजर पड़ चुकी है, वह उन्हें अपनी सेना में भर्ती के लिए जुगत बैठाने में जुट गया है. सुरक्षा सूत्रों ने चेतावनी दी है कि अगर भारत इन गोरखाओं का ठीक ढंग से ख्याल नहीं रखता है, तो चीन इन्हें अपने पाले में कर सकता है. इसका मतलब हुआ कि कभी भारत की ओर से लड़ने वाले गोरखा जंग के मैदान में उसके खिलाफ ही खड़े हो सकते हैं. वर्तमान में गोरखा भारत और ब्रिटेन दोनों की सेनाओं में शामिल हैं।
दरअसल, गोरखा नेपाल के उन लोगों को कहा जाता है, जो अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध हैं. गोरखाओं को पहली बार 1815 में नेपाल के साथ शांति समझौते के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भर्ती किया गया था. बाद में उन्होंने भारतीय और ब्रिटिश दोनों सेनाओं के लिए दशकों तक कई युद्ध लड़े. 1947 में भारत की आजादी के बाद हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत, दस गोरखा रेजिमेंटों में से छह भारतीय सेना का हिस्सा बनीं, जबकि चार ब्रिटिश सेना में शामिल हो गईं।
किस योजना से गोरखा के चीन में जाने का बढ़ा खतरा?
सूत्रों के मुताबिक, गोरखाओं के पास त्रिपक्षीय संधि की वजह से भारत और ब्रिटेन की सेना में नौकरी का मौका होता है. ब्रिटेन में 4000 गोरखा सैनिक मौजूद भी हैं. लेकिन केंद्र सरकार के जरिए लाई गई अग्निपथ योजना की वजह से गोरखा अब भारतीय सेना में शामिल होने को अनिच्छुक हैं. उन्हें लगता है कि चार साल की सर्विस के बाद जब 25 फीसदी को ही रिटेन किया जाएगा, तो उनका भारतीय सेना में शामिल होने का फायदा नहीं है।
चीन किस तरह गोरखाओं को अपने साथ करने में जुटा?
दरअसल, चीन के क्विंग राजवंश और नेपाल के राजा के बीच 18वीं सदी में युद्ध लड़ा गया. इसके बाद शांति के लिए ही नेपाल और चीन के बीच 1792 की बेत्रावती संधि हुई थी. इस संधि के तहत चीन ने बाहरी हमले के खिलाफ नेपाल की रक्षा करने का वादा किया हुआ है. सूत्रों की मानें तो अब चीन इसी संधि के तहत नेपाली गोरखाओं को बेहतर ऑफर देकर अपने में मिलाने की कोशिश कर रहा है. वह उन्हें नौकरियों और बेहतर सुविधाओं का भी लालच दे रहा है।
इस बात की भी जानकारी सामने आ रही है कि चीन की तरफ से नेपाली गोरखाओं को 30 हजार रुपये ऑफर किए जा रहे हैं. उनसे कहा जा रहा है कि वे इन रुपयों के बदले लद्दाख जैसे इलाकों में चीन की सेना की ओर से भारत के साथ मुकाबला करें. गोरखाओं को ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध में महारत हासिल है. चीन के सैनिक इन इलाकों में पिछड़ते हैं. इसलिए ही चीन उन्हें लालच दे रहा है. बता दें कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है।