दुनिया भर में इस समय स्तन कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसमें सिर्फ महिलाएं ही नहीं अब कम उम्र की लड़कियां भी इसका शिकार हो रही है…
रिपोर्ट: साक्षी सक्सेना
आपको बता दें की दुनिया भर में जिस कैंसर से महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं, वही कैंसर अब भारत में पहले से कहीं अधिक तेजी से पांव पसार रहा है. भारतीय महिलाओं, खासतौर से युवा लड़कियों और महिलाओं में, ब्रेस्ट कैंसर (स्तर कैंसर) के केस ज्यादा देखे जा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि 20 से 40 साल की युवा महिलाओं में स्तन कैंसर की घटनाएं काफी बढ़ रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित करने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है. साल 2020 में 20 लाख से ज्यादा महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चला और 6 लाख से अधिक मरीजों की जान चली गई. ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस को लेकर हो रहे तमाम सम्मेलनों और रिपोर्ट्स में इस तरह की बातें सामने आ रही हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के क्या हैं शुरुआती लक्षण
स्तन कैंसर जागरूकता पर हाल ही में एक वेबिनार के दौरान फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल की मेडिकल ऑन्कोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ सफलता बाघमार ने कहा, ‘स्तन कैंसर महिलाओं में पाए जाने वाले सबसे आम प्रकार के कैंसर के रूप में हेल्थ चार्ट में सबसे ऊपर है और हाल के दिनों में इसकी घटनाएं बढ़ी हैं. समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए स्तन कैंसर के शुरुआती चेतावनी संकेतों को पहचानना बेहद जरूरी है. नई गांठें, स्तन की बनावट में बदलाव, त्वचा की अनियमितताएं, निपल से जुड़ी समस्याएं, निपल से खून आने जैसे बदलावों पर नजर रखना बेहद जरूरी है.’
डॉक्टर बाघमार ने कहा, ‘इस बारे में खास बात यह भी याद रखनी चाहिए कि ये लक्षण जिनका जिक्र ऊपर किया गया है, वे गैर-कैंसरजन्य बीमारियों या कंडिशन्स से भी जुड़े हो सकते हैं. इसलिए, जब संदेह हो, तो जल्द से जल्द पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि यह आखिर क्या है और सही इलाज करवाना चाहिए. वैसे मन की शांति के लिए भी बेहतर है कि पेशेवर मार्गदर्शन लें.’
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च की नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत में स्तन कैंसर महिलाओं में कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है. 2020 में, भारत में दो लाख से अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर का इलाज होने का अनुमान लगाया गया था और अनुमान के अनुसार 76,000 से अधिक मौतें हुईं.’ इसी रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में यह संख्या बढ़कर 2.3 लाख से अधिक होने की संभावना है।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल में ऑन्कोलॉजी के प्रमुख सलाहकार और स्तन केंद्र के प्रमुख डॉ. रोहन खंडेलवाल ने बताया, ‘भारत में, स्तन कैंसर की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विशेष रूप से 20 के दशक के अंत और 30 के दशक की शुरुआत में युवा भारतीय महिलाओं में।
साल 2030 तक स्तन कैंसर दोगुना!
भारत में, स्तन कैंसर सर्वाइकल (cervical cancer) और ओरल कैविटी कैंसर (Oral Cavity Cancer) को पीछे छोड़ते हुए सबसे आम कैंसर और कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण बन गया है. अध्ययनों से संकेत मिलता है कि 2030 तक स्तन कैंसर के केस दोगुना होने की संभावना है. 20 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को रोग का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए नियमित स्तन जांच कराने की सलाह दी जाती है.”
डॉक्टरों के अनुसार, स्तन कैंसर के 60 प्रतिशत मामलों का निदान आमतौर पर एडवांस स्टेज में किया जाता है, जिससे इलाज की दर कम हो जाती है. फिर भी, नियमित जांच से इलाज की दर 80-90 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
स्तन कैंसर को लेकर कौन से टेस्ट कब करवाएं
कोच्चि के अमृता अस्पताल में रेडियोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी आर ने कहा कि किशोरों और 20 से 30 वर्ष की आयु के लोगों के लिए, अल्ट्रासाउंड इमेजिंग सबसे पहले करवाया जा सकता है, इसके बाद अगर आवश्यक हो तो मैमोग्राफी की जाती है. उन्होंने कहा, ”30-40 वर्ष की महिलाएं मैमोग्राफी के साथ अल्ट्रासाउंड का विकल्प चुन सकती हैं. कंट्रास्ट-एन्हांस्ड मैमोग्राफी (सीईएम) प्रारंभिक पहचान के लिए एक एडवांस तकनीक है, खासतौर से तब जब मामला ज्यादा पेचीदा लग रहा हो. यह टेक्नोलॉजी एक प्रकार का प्रॉब्लम सॉल्वर है, और यहां तक कि कीमोथेरेपी प्रतिक्रिया मूल्यांकन के चरण और बाद में भी मदद करती है.”
उन्होंने कहा, “अगर मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड और सीईएम में कुछ भी ऐसा लगे कि किसी नतीजे पर न पहुंचा जा रहा हो तो हमारे पास स्तन एमआरआई के साथ जाने का विकल्प है.” डॉक्टरों ने अच्छा लाइफस्टाइल रूटीन अपनाने, हार्ट हेल्थ पर ध्यान देने, पौष्टिक खान-पान पर ध्यान देने और शारीरिक रूप से एक्टिव लाइफ स्टाइल रखने की सलाह दी।