रिपोर्ट – राकेश अरोरा
– जिला कार्यक्रम अधिकारी उदय प्रताप की संतुति के बाद भी नही हो रही कार्यवाही
– नंदा गौरा योजना के आवेदन पत्रों में 14 प्रमाण पत्र में पाए गए थे फर्जी
– बाल विकास परियोजना अधिकारी वीना भंडारी ने 14 जाली प्रमाण पत्रों के सहारे किए गए आवेदन को किया था निरस्त
गदरपुर। नंदा गौरा कन्या धन योजना के आवेदन पत्रों में 14 प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बावजूद कार्यवाही ना होने पर तहसील प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी की संतुति के बाद आरोपी सीएससी संचालकों को चयनित करने के बावजूद भी मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
तहसील कार्यालय में एक के बाद एक नए- नए कारनामे सामने आ रहे हैं। महज कुछ दिन पूर्व बाल विकास परियोजना कार्यालय में नंदा गौरा कन्या धन योजना का लाभ लेने के लिए किए गए आवेदन पत्रों की जांच में 14 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। बाल विकास परियोजना अधिकारी ने जाली प्रमाण पत्रों की पुष्टि करते हुए पूरे मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। जाली प्रमाण पत्रों के सहारे किए जा रहे गंभीर अपराध को देखते हुए डीपीओ उदय प्रताप की संतुति के बाद फर्जी प्रमाणपत्रों को जारी करने वाले सीएससी संचालकों को चिन्हित किया गया। जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की भी बात सामने आ रही थी। परंतु अभी तक कोई कार्यवाही अमल में ना लाए जाना चर्चा का विषय बना हुआ है! आपको बता दें कि फर्जी प्रमाण पत्र का मामला पिछले काफी समय से गरमाया हुआ है जिसमें तहसील के ही एक कर्मचारी की मिलीभगत होने की भी बात सामने आ रही है। जाली 14 प्रमाण पत्रों में से 08 प्रमाण पत्र तहसील गेट के सामने सैनी फोटोस्टेट से बनाए जाने की बात सामने आई थी। जिसके ऊपर पूर्व में भी तहसील कर्मी से सांठगांठ के चलते फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगा था। आरोप है कि कि उपजिलाधिकारी अनामिका और तहसीलदार पूजा शर्मा ने महज खानापूर्ति के लिए कार्यवाही की बात तो की लेकिन उस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया। हैरानी की बात तो यह है कि उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद भी फोटोस्टेट संचालक बेखौफ होकर आज भी बखूबी से अपने काम को अंजाम दे रहा है अब देखना यह होगा कि फर्जी प्रमाणपत्र मामले में तहसील प्रशासन कार्यवाही करता है या पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है यह तो आने वाला समय ही तय करेगा।